दिल्ली-एनसीआर

हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, अब इन छात्रों को नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

Renuka Sahu
3 Sep 2022 4:57 AM GMT
High Court gave a big decision, now these students will not get the benefit of reservation
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न्यूज़ क्रेडिट : ibc24.in

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि मौजूदा कानून के मुताबिक, आरक्षण का लाभ पाने के अधिकारी केवल वही स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने दिल्ली में ही स्थित किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की हो।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि मौजूदा कानून के मुताबिक, आरक्षण का लाभ पाने के अधिकारी केवल वही स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने दिल्ली में ही स्थित किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की हो। कोर्ट ने यह फैसला इस सवाल के जवाब में दिया है जिसमें यह पूछा गया था कि क्या एक स्टूडेंट, जो रहता तो दिल्ली में हो, पर उसने अपनी पढ़ाई एनसीआर के किसी स्कूल से पूरी की हो, यहां कॉलेज दाखिले में 'दिल्ली स्टूडेंट्स' के लिए आरक्षण का लाभ पा सकता है?

जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने एक डॉक्टर और उनके बच्चे की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता के मुताबिक, उनके बेटे की पांचवी तक की पढ़ाई तो दिल्ली में ही हुई, पर उसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई गुरुग्राम, हरियाणा स्थित स्कूल ब्रांच में हुई। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट संजय घोष ने और दिल्ली सरकार का सरकारी वकील गौतम नारायण ने किया।
Delhi students reservation : जस्टिस नरूला की सिंगल बेंच ने सरकार की दलीलों से सहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि 2007 एक्ट के तहत साफ है कि इसमें दिल्ली कैंडिडेट से मतलब ऐसे स्टूडेंट से है जिसने दिल्ली में स्थिति किसी मान्यता प्राप्त स्कूल या संस्थान से परीक्षाएं दी हो। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने 12वीं क्लास की पढ़ाई गुरुग्राम स्थित स्कूल से पूरी की है और इसलिए वह 2007 एक्ट के सेक्शन 12(1)(बी) के तहत लाभ पाने का हक नहीं रखता है।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का स्कूल न केवल दिल्ली की सीमा से बाहर है, बल्कि उसे मान्यता भी हरियाणा सरकार से मिली है और इसलिए वह हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग के दायरे में आता है। याचिकाकर्ता ने संबंधित कानून को चुनौती देने वाली अपनी याचिका डिविजन बेंच से वापस ले ली थी। इस पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक बार चुनौती को वापस ले लिया जाए, तो कानून की वैधता मान ली जानी चाहिए।
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