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हाईटेक टाउनशिप मामले में 600 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर होने के बाद शासन ने जांच की शुरू

Admin Delhi 1
28 Sep 2022 11:27 AM GMT
हाईटेक टाउनशिप मामले में 600 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर होने के बाद शासन ने जांच की शुरू
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एनसीआर क्राइम न्यूज़: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हाईटेक टाउनशिप मामले में करीब 600 करोड़ रुपये के घोटाले की बड़ी खबर सामने आई है। हाईटेक टाउनशिप में बड़ी गड़बड़ी की शिकायत लगातार मिल रही थी और कैग की आपत्ति को शासन ने इस बार बड़ी गंभीरता से लिया है। शासन ने इस मामले की जांच शुरू कराई है। विजिलेंस जांच के दौरान 39 सवालों की सूची बनाई गई और जीडीए से इसका जवाब मांगा गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि इस सवाल के जवाब के साथ ही संबंधित कागजात भी भेजा जाए। जीडीए ने इस प्रकरण में विजिलेंस टीम के साथ कोऑर्डिनेशन के लिए तहसीलदार दुर्गेश कुमार को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है।

600 करोड़ का नुकसान: गाजियाबाद जिले में वेवसिटी और सनसिटी हाइटेक टाउनशिप के जरिए विकसित किया जा रहा है। 2017 में कैग ने जब जीटीए को ऑडिट किया था, तो हाईटेक टाउनशिप में बिना कन्वर्जन जांच लिए हुए ही लैंडयूज को आवासीय करने पर आपत्ति जाहिर की थी। यह आरोप था कि इससे जीडीए को करीब 600 करोड़ का नुकसान हुआ था। कैग की आपत्ति का मामला शासन तक पहुंचा तो अब शासन ने इसकी विजिलेंस जांच शुरू कराई है।

यह है पूरा मामला: बीते 2005, मई में प्रदेश सरकार द्वारा गाजियाबाद में हाइटेक टाउनशिप के विकास के लिए दो विकासकर्ताओं का चयन किया गया था। उस समय मास्टरप्लान-2001 लागू था। मास्टरप्लान-2001 के अनुसार हाइटेक टाउनशिप के लिए नामित क्षेत्र का भू-उपयोग कृषि था। इसके बाद वर्ष 2005, जुलाई में सरकार ने मास्टरप्लान-2021 को मंजूरी दी। मास्टरप्लान-2021 के तहत हाइटेक टाउनशिप के लिए चिह्नित भूमि का उपयोग सांकेतिक था, इसलिए विकासकर्ताओं को भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क देना पड़ रहा था। वर्ष 2006 और 2007 में बनाई गई नीतियों में भी विकासकर्ताओं से भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क लिए जाने की बात शामिल की गई थी।

मास्टरप्लान-2021 के तहत यह योजना: तत्पश्चात 23 अप्रैल 2010 को मास्टरप्लान-2021 के संबंध में शासन ने एक आदेश जारी किया कि उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के तहत हाइटेक टाउनशिप के लिए भू-उपयोग सांकेतिक दिखाने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि गाजियाबाद मास्टरप्लान-2021 में जैसा भू-उपयोग दिखाया गया था, उस प्रकार की भूमि का उपयोग आवासीय माना जाएगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र पर भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क देय मान्य नहीं होगा। मई 2017 में ऑडिट के इस बात पर दृष्टि पड़ी कि आवास और शहरी नियोजन विभाग ने विकासकर्ताओं के अनुरोध पर मास्टरप्लान में सांकेतिक भू-उपयोग को आवासीय में परिवर्तित कर उन्हें शुल्क से राहत दे दी है। इस तरह डिवेलपर्स को अनुचित लाभ दिया गया है और इसी वजह से प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इस दौरान प्रदेश में सपा और बसपा सरकारें रही है।

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