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नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया गया है। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला अब सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ बैठक कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख और समय तय करेंगे।
बुधवार को 12 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए सभी सांसदों को वेल में जाने से मना कर अपनी-अपनी सीट पर ही मौजूद रहने को कहा।
सदन में आवश्यक दस्तावेजों को पेश करवाने के बाद लोक सभा अध्यक्ष ने गौरव गोगोई को अपना प्रस्ताव पेश कर सदन की अनुमति लेने को कहा। बिरला की अनुमति मिलने के बाद गौरव गोगोई ने सदन में खड़े होकर मोदी सरकार में विश्वास नहीं होने ( अविश्वास प्रस्ताव ) का प्रस्ताव पेश किया।
स्पीकर ने कांग्रेस सांसद के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसदों को खड़े होने को कहा ताकि प्रस्ताव के समर्थक सांसदों की गिनती की जा सके।
कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, बीआरएस, जेडीयू और शिवसेना ( उद्धव गुट) सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने खड़े होकर गौरव गोगोई के प्रस्ताव का समर्थन किया।
नियमों के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में पर्याप्त आंकड़े को देखते हुए स्पीकर ने कांग्रेस सांसद के नोटिस को मंजूर करते हुए कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख और समय तय करेंगे।
इसके बाद सरकार की तरफ से सदन में बिल पेश करना शुरू हुआ और विपक्षी सांसद मणिपुर के मसले पर वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। नारेबाजी के बीच सरकार ने जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) विधेयक 2023, जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन ) विधेयक 2023, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2023, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 और खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2023 को लोक सभा में पेश किया।