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सरकार ने आरटीआई में दिया जवाब: 'नमामि गंगे' कायाकल्प परियोजना में अब तक 18,325 करोड़ रुपए

Admin Delhi 1
9 Oct 2022 9:36 AM GMT
सरकार ने आरटीआई में दिया जवाब: नमामि गंगे कायाकल्प परियोजना में अब तक 18,325 करोड़ रुपए
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दिल्ली न्यूज़: भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना 'नमामि गंगे' कायाकल्प परियोजना में अब तक 18,325 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यह जानकारी शहर के समाजसेवी रंजन तोमर की आरटीआई से प्रकाश में आई है। तोमर ने जल शक्ति मंत्रालय से 2014 यानि योजना के उद्गम से अब तक का ब्यौरा मांगा था। जवाब में मंत्रालय कहता है की 2014-15 में 2,053 करोड़ रुपए इस परियोजना के लिए खर्च हुए थे।

2017-18 में सबसे ज्यादा बजट 3023.42 करोड़ रुपये खर्च हुआ: आरटीआई के जवाब में जलशक्ति मंत्रालय ने बताया कि दूसरे साल 2015 -16 में यह आंकड़ा 1,650 करोड़ का रहा था। वर्ष 2016 -17 में 1,675 करोड़, 2017-18 में अचानक बजट बढ़कर 3023.42 करोड़ जा पहुंचा। इसके बाद 2018-19 में 2,370 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2019 -20 में 1,553.44 करोड़ रहा था। जबकि 2020-21 में यह 1,300 करोड़ रहा। 2021-22 में खर्चा 1,900 करोड़ हुआ था। जबकि इस वर्ष यानि 2022-23 में इसका बजट 2,800 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

नमामि गंगे परियोजना की सफलता: इस कार्यक्रम ने 28 रिवर-फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, 33 एंट्री-लेवल प्रोजेक्ट्स के निर्माण, आधुनिकीकरण और 182 घाटों के नवीनीकरण और 118 श्मशान घाटों का निर्माण किया है। घाटों और नदी की सतह पर ठोस कचरा तैर रहा है, जो प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस समस्या के समाधान के लिए नमानी गंगे ने 11 स्थानों पर नदी की सतह की सफाई परियोजनाओं की शुरुआत की।

गंगा में सीवर जाने से रोकना सबसे बड़ी प्राथमिकता: नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा ग्राम एक अन्य परियोजना है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के तट पर स्थित 1,674 ग्राम पंचायतों की पहचान की है। 5 गंगा बेसिन राज्यों की 1,674 ग्राम पंचायतों में शौचालयों के निर्माण के लिए 578 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। परियोजनाओं के तहत 15,27,105 शौचालयों में से 8,53,397 शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। रंजन तोमर का कहना है कि इन कार्यों से लगता है कि परियोजना ने कई महत्वपूर्ण आयाम हासिल किये हैं, लेकिन कुछ कमियां भी रही हैं, जिन्हे ठीक करना ज़रूरी है। जैसे फण्ड का पूर्ण उपयोग न होना सबसे बड़ी परेशानी है। अपने ही समयबद्ध लक्ष्यों को न हासिल कर पाना, गंगा का स्वच्छ न हो पाना, कित्नु बड़ी परियोजनाओं में हमें संयम भी बनाये रखना होता है। उम्मीद है की हम जल्द ही गंगा को पूर्ण रूप से स्वच्छ पाएंगे।

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