दिल्ली-एनसीआर

आरआरटीएस कॉरीडेार में दूध, सब्जियों, फलों की ढुलाई के लिए दौड़ेंगी मालगाडय़ां, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद

Admin Delhi 1
19 Aug 2022 5:01 AM GMT
आरआरटीएस कॉरीडेार में दूध, सब्जियों, फलों की ढुलाई के लिए दौड़ेंगी मालगाडय़ां, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर जब यह 2025 में पूरी तरह से चालू हो जाएगा, तो यात्रियों को 82 किमी की दूरी तय करने में 55 मिनट लगेंगे वहीं दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों के बीच माल की आवाजाही भी तेजी से हो सकेगी। दरअसल सूत्रों की माने तो एनसीआरटीसी ने कॉरिडोर पर अलग से मालगाडिय़ां चलाने की योजना बनाई है। ये मालगाडिय़ां रात को तब चलाई जाएंगी जब यात्री रेलगाडिय़ां नहीं चलेंगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दिल्ली के जंगपुरा और यूपी के दुहाई और मोदीपुरम में तीन वेयरहाउस खोले जा रहे हैं। एनसीआरटीसी ने पहले जंगपुरा में यार्ड बनाने की योजना बनाई थी। इसके साथ ही यहां संचालन नियंत्रण केंद्र की भी योजना बनाई गई थी और अब यहां एक आरआरटीएस स्टेशन भी बनाया जा रहा है। एनसीआरटीसी ने पिछले दिनों माल ढुलाई की संभावनाओं पर बैठक की और तब दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के साथ-साथ प्रस्तावित दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-अलवर आरआरटीएस कॉरिडोर पर भी चर्चा की गई।

चूंकि दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के हिस्से के रूप में मुरथल और पानीपत में दो वेयरहाउस प्रस्ािवत हैं और दिल्ली-गुडग़ांव-एसएनबी (अलवर) कॉरिडोर के लिए धारूहेड़ा में एक वेयरहाउस बनाया जाना है। इन सभी वेयरहाउसेस में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होगी ताकि दूध या सब्जियों जैसे खराब होने वाले सामानों को आसानी से एक से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सके। बता दें कि आरआरटीएस ट्रेनें वंदे भारत सहित भारत में सबसे तेज चलने वाली ट्रेंन होंगी, अभी भले ही इनकी रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे रखी जाए लेकिन ये 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर दौड़ सकती हैं। हालांकि इनकी औसत गति 100 किमी प्रति घंटे की होगी। आरआरटीएस ट्रेन एसी, आधुनिक सुविधआों के साथ-साथ प्रीमियम श्रेणी के कोच के साथ चलेंगी और इसमें एक कोच महिला यात्रियों के लिए भी आरक्षित होगा। जबकि एनसीआरटीसी ने पहले जंगपुरा में केवल एक स्थिर यार्ड की योजना बनाई थी, वहां नेटवर्क के संचालन नियंत्रण केंद्र की भी योजना बनाई गई थी और अब एक आरआरटीएस स्टेशन भी स्थान पर आ रहा है। एडीएनसीआरटीसी ने पहले न केवल रसद सेवाओं पर हितधारकों की बैठकें की थीं। दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर, लेकिन प्रस्तावित दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-अलवर आरआरटीएस कॉरिडोर भी। दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के हिस्से के रूप में मुरथल और पानीपत में दो गोदाम और दिल्ली-गुडग़ांव-एसएनबी (अलवर) कॉरिडोर के लिए धारूहेड़ा में एक गोदाम प्रस्तावित किया गया है।

सभी गोदामों में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होगी ताकि दूध या सब्जियों जैसे खराब होने वाले सामानों को आसानी से ले जाया जा सके। 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के साथ, आरआरटीएस ट्रेनें भारत में सबसे तेज होंगी, भले ही परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटे और औसत गति होगी। 100 किमी प्रति घंटे की होगी। यात्रियों के लिए वातानुकूलित आरआरटीएस ट्रेनों में मानक के साथ-साथ प्रति ट्रेन एक प्रीमियम श्रेणी का कोच होगा, साथ ही एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा। एनसीआरटीसी की योजना आरआरटीएस कॉरिडोर पर माल ढुलाई को भी करने की है ताकि लाइन का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो सके। यदि मालगाडिय़ों को चलाने की योजना पर अमल हुआ तो इससे आरआरटीएस कार्गो क्षेत्र में भी काम कर एनसीआर में वाहनों की बढ़ती भीड़ को कम करने में मदद कर सकेगा। शहरों के भीतर पहले ही माल ढुलाई वाले बड़े ट्रकों पर प्रतिबंध है तो एनसीआर में शहरी माल ढुलाई के लिए यह एक मजबूत विकल्प बन सकेगा। क्योंकि तेज, स्टोरेज, अपने डिपो में दक्ष लोगों के साथ हैंडलिंग से इसकी सुविधाएं बेहतर होने के आसार रहेंगे। बता दें कि आरआरटीएस कॉरिडोर पर निर्माण कार्य जारी है और पहली ट्रेन दुहाई डिपो में पहुंचने के साथ, ट्रायल रन शुरू किए जा चुके हैं। साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किमी का पहला सेक्शन 2023 तक शुरू हो जाएगा और पूरे गलियारे को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य है।

वहीं सूत्रों की माने तो आरआरटीएस नियो मेट्रो के लिंक पर भी विचार कर रहा है ताकि ब्लू लाइन की वैशाली और रेड लाइन के मोहन नगर स्टेशन भी इससे जोड़े जा सकें। आरआरटीएस का स्टेशन साहिबाबाद है जबकि ब्लू लाइन मेट्रो पर नोएडा सेक्टर-62 और वैशाली का स्टेशन है। मोहन नगर, हिंडन रिवर बैंक भी रेड लाइन पर हैं। पहले यहां राज नगर एक्सटेंशन से रोपवे बनाने की बात की जा रही थी लेकिन हाल ही में किए गए विभिन्न विशेषज्ञों के दौरे के बाद इस पर भी विचार चल रहा है कि यहां मेट्रो का नियो प्रोजेक्ट शुरू किया जाए ताकि आरआरटीएस को मेट्रो से जोड़ा जा सके।

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