दिल्ली-एनसीआर

गरीब बच्चों को स्कूल 45 फीसदी सीटों पर दें दाखिला, हाईकोर्ट का दिल्ली सरकार को निर्देश

Renuka Sahu
1 Jun 2022 2:48 AM GMT
Give admission to poor children in 45% seats in schools, High Court directs Delhi government
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फाइल फोटो 

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को निर्धारित सीटों पर दाखिला नहीं देना निजी स्कूलों को महंगा पड़ा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को निर्धारित सीटों पर दाखिला नहीं देना निजी स्कूलों को महंगा पड़ा है। उच्च न्यायालय ने सभी निजी स्कूलों को अगले पांच साल तक ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षित 25 फीसदी सीटों के अलावा अतिरिक्त 20 फीसदी सीटों पर दाखिला देने का आदेश दिया है। यानी स्कूलों को 45 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देना होगा।

जस्टिस नज्मी वजीरी और विकास महाजन की पीठ ने मंगलवार को आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा, ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां स्कूलों ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों के दाखिले की आवश्यकताओं का पालन नहीं किया है। सरकारी भूमि का कोई लाभार्थी आवंटन की शर्तों के तहत अपने दायित्व की न तो अनदेखी कर सकता है और न ही इससे बच सकता है। न्यायालय ने कहा, सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया जाता है कि सरकारी व निजी भूमि पर बने सभी निजी स्कूलों में खाली सीटों को पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से भरा जाए। साथ ही सरकार को आदेश पालन कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
पीठ ने गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑल की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। संगठन की ओर से अधिवक्ता खगेश झा ने याचिका में निजी स्कूलों द्वारा पिछले कई सालों से ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को कम सीटों पर दाखिला देने का आरोप लगाया है।
132 स्कूलों को जारी किया नोटिस
सरकार की ओर से अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि कुछ स्कूलों ने दाखिला नियमों की अनदेखी की है। शिक्षा निदेशालय ने इस पर 132 स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दाखिला कुल सीटों के आधार पर होगा
उच्च न्यायालय ने कहा है कि निजी स्कूलों में एंट्री लेवल की कक्षा में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में दाखिला सामान्य श्रेणी में हुए दाखिले के आधार पर नहीं बल्कि कक्षा में घोषित कुल सीटों के 25 फीसदी के आधार पर होगा।
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