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शातिर ठगों के गिरोह का भंडाफोड़, आरोपी ठगी की रकम से खरीद लेते थे बिटकॉइन

HARRY
3 July 2022 3:08 PM GMT
शातिर ठगों के गिरोह का भंडाफोड़, आरोपी ठगी की रकम से खरीद लेते थे बिटकॉइन
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न्यूज़ सोर्स- आज तक 

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दिल्ली के रोहिणी जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे शातिर ठगों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो लोन दिलाने के नाम पर लोगों का अकाउंट खाली कर देता था. इस गिरोह के तार चीन तक फैले थे. पुलिस के मुताबिक, आरोपी ठगी की रकम से बिटकॉइन खरीद लेते थे. पुलिस ने इनके पास से 15 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, 27 सिम कार्ड, लैपटॉप, टैबलेट और कई चेकबुक बरामद की हैं. इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों के पास से बीएमडब्ल्यू कार भी मिली है.

जानकारी के अनुसार, मोहम्मद नदीम सैफी नाम के एक शख्स ने रोहिणी जिले के साइबर थाने में शिकायत कर कहा कि कुछ दिन पहले उसके पास एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि उनका 2 लाख तक का लोन पास हो गया है. इसे हासिल करने के लिए वह दिए गए लिंक को फॉलो करें. नदीम ने लिंक को डाउनलोड कर उसमें दिए फॉर्म को भर दिया. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय नंबर से नदीम के पास वॉट्सएप कॉल आई. इसमें नदीम से कहा गया कि टोटल लोन अमाउंट का वह पांच परसेंट एक अकाउंट में जमा कर दें.
इसके बाद तीन ट्रांजेक्शन में नदीम ने 40 हजार रुपये एक अकाउंट में जमा कर दिए. इसके बाद जब कोई जवाब नहीं मिला, तो नदीम को शक हुआ कि उसके साथ ठगी हुई है. पुलिस ने नदीम की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. पुलिस ने इस मामले में जांच की तो पता चला कि सारा पैसा मध्य प्रदेश की नीमच के एक बैंक अकाउंट में गया है. उस अकाउंट में महज 2 दिनों में 75 लाख रुपये जमा किए गए थे. धोखे से कमाई गई इस रकम से क्रिप्टो करेंसी और अमेरिकी डॉलर खरीदे जा रहे थे.
पुलिस को पता लगा कि यह गैंग राजस्थान के चित्तौड़गढ़ एरिया से ऑपरेट किया जा रहा है. पुलिस ने चित्तौड़गढ़ में रेड कर दीपक पटवा, सुनील कुमार, देवकिशन और सुरेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें यह आइडिया यूट्यूब से मिला था. इसके बाद वह टेलीग्राम पर कुछ चीनी नागरिकों के संपर्क में आए. यह लोग ऑनलाइन लोन दिलाने के नाम पर ठगी करते थे. डेढ़ परसेंट कमीशन देकर ये बैंक खाते हासिल कर लेते थे. इसके बाद टेलीग्राम के जरिए चीनी नागरिकों को मुहैया करा देते थे. ठगी से मिली रकम को यह अलग-अलग बैंक खातों में जमा करते थे और उसके बाद अमेरिकी डॉलर में बदलकर फिर क्रिप्टो करेंसी खरीद लिया करते थे.
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