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नई दिल्ली। रेलवे पुलिस ने रेल विभाग में फर्जी नौकरी लगाकर नियुक्ति पत्र देने और ट्रेनिंग के लिए टीटीई के रूप में ट्रेनों में तैनात करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस साजिश का खुलासा तब हुआ जब कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस में रेलवे कर्मचारी द्वारा टीटीई वर्दी पहने एक नकली टीटीई को रोका गया। जिसके पास मोबाइल फोन में रेलवे आई-कार्ड की कॉपी मिली।
रेलवे पुलिस के डीसीपी हरेन्दर सिंह ने बताया कि रेलवे को एक नकली टीटीई के बारे में जानकारी मिली थी कि ट्रेन टीटीई के रूप में एक व्यक्ति को कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस में रेलवे कर्मचारियों द्वारा रोका गया, जो अपने मोबाइल फोन में रेलवे का आई कार्ड दिखा रहा था। शक होने पर इसकी सूचना मुख्य टिकट निरीक्षक को दी गई।
आरपीएफ कर्मचारी और रेलवे अधिकारी उसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुलिस थाने में पूछताछ के लिए लाये। उसकी पहचान भूपेंद्र चौरसिया के रूप में हुई। जब उसके आई कार्ड की जाँच की तो वो फर्जी निकला। उसने पूछताछ में बताया कि उसे प्रशांत शुक्ला ने यह आई कार्ड दिया है। जिसे उन्होंने रेलवे में नौकरी पाने के लिए पैसे दिए हैं। उसने यह भी खुलासा किया कि उसके जैसे अन्य लड़के भी हैं जो एनडीआरएस में प्रशिक्षण ले रहे हैं। पकडे गए लड़के ने बताया कि रिजवान उनका प्रभारी है जो अपॉइंटमेंट लेटर देता है और उन्हें काम सौंपता है।
भूपेंद्र चौरसिया पुलिस टीम को अजमेरी गेट के केएफसी के पास एक व्यक्ति के यहां ले गया जो टीटीई की वर्दी में था। पूछताछ करने पर उसने खुद को रिजवान बताया और टीटीई का ट्रेनर बताया। रिज़वान ने अपने मोबाइल फोन में एक आई-कार्ड दिखाया। उसने बताया कि उसने संदीप नामक एक युवक को रेलवे में नौकरी दिलाने के लिए 2 लाख रुपये भी दिए हैंए और संदीप ने उसे ट्रेनिंग और उनका प्रशिक्षण का काम सौंपा है उसके कहने पर तीन और लड़कों को पकड़ा गया।
इन तीनों ने बताया कि उन्होंने 23 लाख रूपए होशियारपुर के रहने वाले सुखदेव सिंह को दिए है जिसने इस गिरोह के 6 और लड़कों के बारे में बताया। पुलिस ने उन्हें भी पकड़ लिया। इनकी पहचान देवेश कुमार, सिद्धार्थ शर्मा, मनोज कुमार, विनय कुमार, परमिंदर सिंह और आशीष कुमार के रूप में हुई है। रेलवे पुलिस टीम ने इन लोगों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
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