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गजेंद्र चौधरी की मुसीबत बढ़ी, अनु-सचिव रजनीकांत पांडेय ने जांच की शुरू
एनसीआर नॉएडा: अथॉरिटी में 8 साल से अपने आपको बगैर चुनाव कराए एंप्लाईज असोसिएशन का अध्यक्ष बताने वाले गजेंद्र चौधरी का मामला तुल पकडता जा रहा है। जहां चुनाव कराने के लिए दूसरे गुट ने मोर्चा संभाल लिया है। वहीं, अपने ही परिवार के 10 लोगों को फर्जी तरीके से नौकरी लगवाने के मामले में भी जांच बैठ गई है। शासन के अनु-सचिव रजनीकांत पांडेय की ओर से जांच शुरू हो गई है।
10 लोगों को नौकरी पर रखवाया: औघोगिक विकास अनुभाग-4 की ओर से जारी पत्र के जारी होते ही जांच का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे अधिक नियमों को ताक पर रखकर गजेंद्र चौधरी ने ही अपने ही परिवार के दस लोगों को नौकरी पर रखवा दिया है।
गजेंद्र चौधरी ने प्लॉट अलॉट में की धांधली: मेरठ मैडिकल के रहने वाले नील कमल की ओर से सीएम, पीएम, नंद गोपाल नंदी, धर्मवीर सैनी और मुख्य सचिव को समेत दस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि गजेंद्र चौधरी ने अपने पद का दुरूप्योग करते हुए दो-प्लॉट अथॉरिटी से अलॉट करा डाले। एक अपनी पत्नी और दूसरा अपने नाम से है। अपनी पत्नी के नाम से 200 मीटर का प्लॉट पार्क फैसिंग अलॉट कराया। अलॉटमेंट नंबर इएमपी 0177018 है।
क्या है पूरा मामला: उन्होंने बताया कि यह प्लॉट 31 मार्च 2008 में अलॉट कराया। जबकि, गजेंद्र चौधरी ने अथॉरिटी के सचिव को 20 अप्रैल 2001 को पत्र लिखकर सचिव से अनुरोध किया कि सन 1995 में अथॉरिटी की ओर से स्टाफ कोटे में दो वर्ग मीटर का प्लॉट अलॉट किया था। मेरे पास पैसा नहीं है। इसलिए अपने ससुराल वालों को साझा कर लिया है। प्लॉट बेचने के बाद मेरे पास कोई प्लॉट नहीं रहेगा। मैंने ई-57 प्लॉट 60 वर्ग मीटर खरीद लिया है। 60 मीटर प्लॉट छोटा है मेरे रहने के लिए। सेक्टर डेल्टा में ही 200 वर्ग मीटर का प्लॉट कनर्वजन करे। वह भी चार साल की किस्तों में। इस तरह से दो-दो प्लॉट भी अलॉट कराने का आरोप लगा है। नीलकमल ने मामले की जांच कर प्लॉट आवंटन रद्द करने की मांग की है।