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नोएडा के पूर्व महानगर अध्यक्ष ने लिखा पत्र, समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के यू-टर्न पर बढ़ रही हैं नाराजगी
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: श्रीकांत त्यागी प्रकरण में राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने श्रीकांत की पत्नी अनु त्यागी से मुलाकात करने के लिए 9 सपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बनवाया है। यह सपा के बड़े नेता शुक्रवार को अनु त्यागी से मिलने नोएडा आएंगे। इस मामले में अब समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता दो गुटों में बट गए हैं। एक गुट इस मामले का समर्थन कर रहा है, वही दूसरा गुट विरोध में है। शुक्रवार को आ रहे प्रतिनिधिमंडल से पहले पूर्व महानगर अध्यक्ष दीपक विग ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर जिले की राजनीति में गर्माहट बढ़ा दी है। सपा के महानगर उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने पार्टी कार्यशैली से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया है। वर्तमान में समाजवादी पार्टी में गहमागहमी का माहौल है।
जानिए पत्र में क्या लिखा है: पूर्व महानगर अध्यक्ष दीपक विग ने पत्र में लिखा, "पिछले दिनों जिस प्रकार से भाजपा के गुंडे श्रीकांत त्यागी द्वारा सोसाइटी की महिला के साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की किया गया, इस घटना से नोएडा के लोग काफी आहत हुए। इस संबंध में समाजवादी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ-साथ एक खुला पत्र भी लिखकर श्रीकांत त्यागी की गिरफ्तारी की मांग थी, इसके तुरंत बात श्रीकांत त्यागी की गिरफ्तारी भी हुई थी। इस दौरान पुलिस प्रशासन के द्वारा श्रीकांत त्यागी की पत्नी और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया था और उनको प्रताड़ित भी किया गया। दीपक ने आगे लिखा, "इस संबंध में सपा का एक प्रतिनिधिमंडल श्रीकांत त्यागी के परिजनों से मिलने 2 सितंबर आ रहे हैं। जिस प्रकार भाजपा के गुंडे श्रीकांत त्यागी द्वारा सोसाइटी में दहशत फैलाई गई और महिला के साथ दुर्व्यवहार किया गया और एक जाति विशेष को गाली देने का काम किया गया। इस मामले में मेरा आपसे आग्रह है कि क्यों ना एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित पक्ष की महिला के पास भी भेजा जाए ताकि नोएडा महानगर में एक सकारात्मक संदेश लोगों के बीच जाए।"
महानगर उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा: सपा के नोएडा महानगर उपाध्यक्ष ने इस मामले को लेकर इस्तीफा दे दिया है। उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को भेजे त्याग पत्र में कहां है कि महिलाओं के प्रति अपराध करने वाले लोगों से मुरव्वत रखना समझ से परे है उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल का विरोध किया है जो शुक्रवार को नोएडा में श्रीकांत त्यागी की पत्नी से मुलाकात करेगा। इस पूरे प्रकरण के बाद बताया जा रहा है कि गौतमबुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। एक पक्ष श्रीकांत त्यागी को सपोर्ट करना चाहता है तो दूसरा धड़ा श्रीकांत त्यागी को सपोर्ट नहीं करना चाहता है।
27 अगस्त को अखिलेश यादव नोएडा आए: इतना ही नहीं 27 अगस्त को अखिलेश यादव नोएडा एक निजी कार्यक्रम में आए। यहां पत्रकारों ने श्रीकांत त्यागी को लेकर उनसे सवाल किया। अखिलेश यादव अपनी बात पर बरकरार रहे। उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी की यही पहचान है। यही चाल, चरित्र और चेहरा है। पार्टी में गुंडे और मवाली भरे हुए हैं। उसका भाजपा के तमाम बड़े नेताओं से रिश्ता है। महिला अपराधी को बचाने के लिए पूरी भाजपा को सरकार ने जोर लगा दिया था।" अगले ही दिन समाजवादी पार्टी की ओर से एक पत्र जारी किया गया। जिसमें 9 सपा नेताओं के नाम लिखकर प्रतिनिधि मंडल का गठन किया गया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल श्रीकांत त्यागी की पत्नी अनु त्यागी से जाकर नोएडा में उनके घर मिलेगा। अपनी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को सौंपेगा। अनु त्यागी और श्रीकांत त्यागी की मामी इंगला त्यागी का पुलिस ने शोषण किया है।
अखिलेश यादव ने अपना स्टैंड क्यों बदल दिया है?
समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का या यू-टर्न यकायक लोगों को सकपकाने वाला है। सवाल चर्चा का विषय बन गया कि आखिर अखिलेश यादव ने अपना स्टैंड क्यों बदल दिया है? अब विश्लेषक इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाल रहे हैं। मेरठ में लंबे अरसे से पत्रकारिता कर रहे डॉ.कुलदीप त्यागी कहते हैं, "पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल मिलकर राजनीति कर रहे हैं। श्रीकांत त्यागी प्रकरण को लेकर पहले ही दिन से राष्ट्रीय लोकदल के बड़े नेता त्रिलोक त्यागी का स्टैंड साफ है। वह श्रीकांत त्यागी का पक्ष नहीं ले रहे हैं, लेकिन उसके परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप गौतमबुद्ध नगर के सांसद और पुलिस पर लगा रहे हैं। दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के त्यागी समाज का अच्छा खासा वोट समाजवादी पार्टी और रालोद गठबंधन के खाते में गया है। मुजफ्फरनगर और शामली जिले की कई सीटों पर त्यागी समाज ने भाजपा के मुकाबले समाजवादी पार्टी को ज्यादा वोट दिए हैं। अब यह बात राष्ट्रीय लोकदल और सपा में त्यागी समाज के नेताओं ने अखिलेश यादव को समझाई है। जिसके बाद अखिलेश यादव ने यह यूटर्न लिया है।"