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धूल प्रदूषण की रोकथाम के लिए अब 5 हजार वर्गमीटर की निर्माण साइट पर भी एंटी स्मॉग गन लगाना हुआ अनिवार्य

Admin Delhi 1
28 Sep 2022 8:23 AM GMT
धूल प्रदूषण की रोकथाम के लिए अब 5 हजार वर्गमीटर की निर्माण साइट पर भी एंटी स्मॉग गन लगाना हुआ अनिवार्य
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली में अब 5 हजार वर्गमीटर से लेकर उससे अधिक के एरिया के निर्माण साइट पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस निर्देश के उल्लंघन पर परियोजना से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले धूल प्रदूषण की रोकथाम के लिए 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले निर्माण और विध्वंस के स्थलों पर ही एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार की 15 सूत्रीय कार्ययोजना 30 सितंबर को जारी करेंगे। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सर्दी के मौसम को लेकर तैयार कार्ययोजना के केंद्र में पराली प्रबंधन, धूल प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन, खुले में कूड़ा जलाना, औद्योगिक प्रदूषण, सर्वाधिक प्रदूषण वाले स्थल, स्मॉग टॉवर, जन सहभागिता, पटाखा और पड़ोसी राज्यों के साथ संयुक्त कार्रवाई समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जैसे ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग आदेश जारी करेगा, वैसे ही संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लागू कर दिया जाएगा। सभी निर्माण कार्य से संबंधित एजेंसियों को धूल प्रदूषण से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।

लगाना होगा एक से चार एंटी स्मॉग गन: 5 हजार से 10 हजार वर्ग मीटर के निर्माण साइट पर एक एंटी स्मॉग गन, 10 हजार से 15 हजार वर्ग मीटर के निर्माण साइट पर 2 एंटी स्मॉग गन, 15 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर निर्माण साइट पर 3 एंटी स्मॉन गन और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण साइट पर कम से कम 4 एंटी स्मोग गन लगाना होगा।

पूर्वानुमानों के आधार पर 3 दिन पहले से ग्रैप के उपायों को लागू किया जाएगा: पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वायु की स्थिति खराब होने से पहले पूर्वानुमानों के आधार पर तीन दिन पहले से ही ग्रैप के उपायों को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बार कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की तरफ से ग्रैप में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। दिल्ली में पहले 2018 से इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम लागू किया जा रहा था। उसका आधार वायु में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा हुआ करती थी। उसी के आधार पर प्रदूषण के स्तर को 5 वर्गों मॉडरेट, पूअर, वेरी पूअर, सेवियर और सेवियर प्लस में विभाजित किया गया था। इसमें संशोधन करके 2022 में एक्यूआई लेवल के आधार पर प्रदूषण के स्तर को 4 वर्गों पूअर (एक्यूआई 201-300), वेरी पुअर (एक्यूआई 301-400), सेवियर (एक्यूआई 401-450) और सेवियर प्लस (एक्यूआई 450 प्लस) में बांटा गया है।

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