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Para के इतिहास में पहली बार 54 उपवास की दीर्घ तपस्या हुई

Gulabi Jagat
7 Oct 2024 10:42 AM GMT
Para के इतिहास में पहली बार 54 उपवास की दीर्घ तपस्या हुई
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Paraपारा। पारा जैन समाज के इतिहास में चौपन इतिहास की तपस्या आज तक नही हुई। इतनी बड़ी तपस्या के लिए न केवल तन से बल्कि मन से भी मजबूत होना पड़ता है। जैन धर्म मे चक्रेश्वरी देवी को तप की देवी कहा जाता है। और उन्ही के आशीर्वाद से बड़ी तपस्याएं होती है। ये शब्द वक्ताओं ने पारा की निर्मला अमृतलाल जैन के 54 उपवास की दीर्घ तपस्या पूर्ण होने पर कहे। ज्ञातव्य है कि पारा में चल रहे ज्ञानोत्सव चातुर्मास मे साध्वीजी भगवंत चारित्रकलाश्रीजी ठाणा -7 की पावनकारी निश्रा मे अनेक तप आराधनाए पूर्ण हुई । जिसमें श्रावक - श्रवविकाओं द्वारा सामूहिक भक्तामर तप, सिद्धि तप, मासक्षमण, 36 उपवास तथा अठाई एवं अठ्म तप किये गए। इसी क्रम मे निर्मला अमृतलाल जैन ने पारा के कीर्तिमान स्वरूप 54 उपवास की दीर्घ तपस्या पूर्ण की। शनिवार को सभी साध्वीजी भगवंतों ने तपस्विनी के निवास पर पहुंच कर तपस्या पूर्णाहुति के पछखाण दिए। इसके बाद निर्मला जैन ने मुख्य मार्ग स्थित आदिनाथ-शंखेश्वर-सीमंधर धाम जिनालय पहुंच कर प्रभु भगवंतों, गुरु भगवंतों एवं शासन माता की पूजन की।
इसके बाद बग्गी में सवार हो कर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। मुख्य मार्गो से निकल कर शोभायात्रा आरधना भवन पहुंची जहां धर्म सभा का आयोजन किया गया। साध्वी भगवंत के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद प्रकाश छाजेड, प्रकाश रांका, मुकेश नाकोड़ा, मुक्ति भंडारी, पंकज लूणावत, विभाष जैन, स्मिता व्होरा, शिवि पोखरना, भावेश डाकोलिया, पलक, कोमल जैन, संगीताजी, लालचंद गाँधी, युक्ति जैन आदि ने तपस्वी की शब्दिक अनुमोदना कर तप के गुण गान किए। श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाश तलेसरा कार्यक्रम का संचालन किया। परिवार की ओर से अमृतलाल जैन ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया। लाभार्थियों द्वारा तपस्वी का तिलक, माला श्रीफल, अभिनन्दन पत्र से बहुमान किया गया। तपस्वी परिवार की ओर से सुबह की नवकारसी एवं स्वामिभक्ति का लाभ लिया गया।
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