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टेंट गोदाम में लगी आग, माता-पिता संग मासूम की दम घुटने से मौत

Renuka Sahu
23 Aug 2022 2:43 AM GMT
Fire in tent warehouse, innocent dies of suffocation with parents
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फाइल फोटो 

गाजियाबाद के सिहानी गेट थाना क्षेत्र के शिब्बनपुरा में रविवार देर रात टेंट के गोदाम में भीषण आग लग गई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गाजियाबाद के सिहानी गेट थाना क्षेत्र के शिब्बनपुरा में रविवार देर रात टेंट के गोदाम में भीषण आग लग गई। आग में तीन परिवारों के 13 लोग फंस गए। दो परिवारों के दस लोग छत से कूदकर जान बचाने में कामयाब हो गए, लेकिन टेंट कारोबारी का साला, उसकी पत्नी व एक साल की बेटी बाहर नहीं निकल सकी और धुएं में दम घुटने से तीनों की मौत हो गई।

पुलिस के मुताबिक कल्पना नगर शिब्बनपुरा में सुनील दत्त का टेंट हाउस का गोदाम है। मूल रूप से बुलंदशहर के खुर्जा निवासी उनका साला पंकज कुमार भी पत्नी व बेटी के साथ गोदाम की बिल्डिंग के प्रथम तल पर बने कमरे में रहता था।
रात करीब दो बजे भूतल पर स्थित गोदाम में आग लग गई। प्रथम और द्वितीय तल पर रह रहे तीन परिवारों के 13 लोग बिल्डिंग में फंस गए। दो परिवारों के दस लोग जैसे-तैसे छत के रास्ते दूसरे मकानों पर कूदकर बच गए, लेकिन धुएं के गुबार के चलते प्रथम तल पर रहने वाले पंकज कुमार , उनकी पत्नी कविता और एक वर्षीय बेटी कृतिका बाहर नहीं निकल सके और दम घुटने से तीनों की मौत हो गई। पंकज जोमेटो में डिलीवरी बॉय का काम करते थे।
गली में लगी थी आग, नहीं जा सकी दमकल गाड़ी
मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि गोदाम तंग गली में था। दमकल की गाड़ी अंदर नहीं जा सकी जिसके चलते मुख्य मार्ग से हौज पाइप फैलाकर बचाव कार्य शुरू किया गया। दमकल की चार गाड़ियों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इसके बाद पुलिस ने शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।
पड़ोसी नहीं चिल्लाते तो तबाह हो जाते तीन परिवार
शिब्बनपुरा स्थित टेंट के गोदाम में रविवार रात जिस वक्त आग लगी, उस वक्त बिल्डिंग में रह रहे तीन परिवार गहरी नींद में सोए हुए थे। आग देखकर सामने रहने वाले पड़ोसियों ने शोर मचा दिया। दो से तीन मिनट तक चीखने-चिल्लाने के बाद दो परिवारों के दस लोग जाग गए, जिन्होंने दूसरो की छत पर कूदकर अपनी जान बचा ली। लेकिन एक कमरे में सो रहे दंपती व उनकी बेटी नहीं जाग सके और धुएं के गुबार में दम घुटने से उनकी मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि अगर पड़ोसी न चिल्लाते तो दोनों परिवारों के दस लोग भी हादसे का शिकार हो जाते।
पंकज बहनोई के यहां परिवार समेत रह रहा था
पुलिस के मुताबिक पंकज मूलरूप से खुर्जा बुलंदशहर के रहने वाले थे। उनके माता-पिता करीब 35 साल पहले खुर्जा छोड़कर गाजियाबाद में रहने लगे थे। शुरूआत में वह घूकना गांव में रहे और फिर मसूरी क्षेत्र की बांके बिहारी कॉलोनी में बस गए। पंकज के दो बड़े भाई व माता-पिता बांके बिहारी कॉलोनी में रहते हैं, जबकि पंकज किराए से बचने के लिए परिवार के साथ बहनोई के गोदाम के ऊपर बने कमरे में रहता था।
धुएं ने ऐसे जकड़ा, किसी की चीख तक नहीं निकल सकी
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दमकलकर्मियों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया, लेकिन एक परिवार के लोगों को कोई सुराग न लगने पर स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। धुएं के गुबार ने पंकज, उनकी पत्नी कविता और मासूम बेटी कृतिका को ऐसे जकड़ा कि उनकी चीख तक न निकल सकी और दम घुटने से उनकी मौत हो गई।
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