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फरीदाबाद डायरी: जो गलती ' रोहित' ने किया कही आपका बच्चा भी वो गलती ना करे
अपनी डायरी में 16 साल के रोहित ने एक लाइन यह भी लिख रखी थी। वह डायरी रोहित (बदला हुआ नाम) पर हुए जुल्मों की कहानी कहती है। फरीदाबाद के नामी स्कूल में पढ़ते हुए रोहित को उसके क्लासमेट्स ने इतना तंग कर दिया था कि उसे मौत बेहतर लगी। गुरुवार को उसने अपनी हाउजिंग सोसायटी के टॉप फ्लोर से कूदकर जान दे दी। एक दिन बाद मां को फ्लैट से विकास की डायरी मिली। मां के लिए आखिरी चिट्ठी में माफी मांगते हुए रोहित ने लिखा कि वह 'दुनिया की बेस्ट मॉम' हैं। 'इस स्कूल ने मुझे मार दिया..' रोहित की चिट्ठी में लिखे यह शब्द उनकी मां को कचोट रहे हैं। वह उसी स्कूल में टीचर हैं जहां रोहित पढ़ता था। मां ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनका बेटा 'जहरीले पौरुष' का शिकार हुआ। स्कूल में रोहित को इसलिए बुली करते थे क्योंकि उसे जूलरी डिजाइन और नेल आर्ट में दिलचस्पी थी।
अपनी डायरी में रोहित ने वो सब लिखा है जो वह किसी से नहीं कह पाता था। 'एलियन' नाम की एक कविता में उसने लिखा कि उसे हमेशा एलियन जैसा फील कराया गया। डायरी के अलावा कई नोटबुक्स में भी रोहित ने काफी कुछ लिखा है। मां ने उसकी सारी कॉपियां इकट्टाइ करके एक चारपाई पर रख दी हैं। उस कमरे में, जिसकी दीवार पर रोहित कूची से अपना अलग संसार रच रहा था। मां को अफसोस है कि काश यह सब वह पहले पढ़ पातीं। रोहित की बुलिंग बस क्लास तक सीमित नहीं रही। रोहित को ऑनलाइन भी बुली किया गया।
मां ने बताया कि रोहित के साथ सेक्सुअल असॉल्ट की घटना मार्च 2020 के लॉकडाउन से पहले हुई। उसने यह बात किसी को नहीं बताई। वह डिप्रेशन में चला गया। जब स्कूल बंद हुए तो उसे थोड़ी राहत मिली। वह एक थिरेपिस्ट के पास जाने लगा जिसने उसे पैनिक अटैक्स से उबरने में मदद की। सालभर की काउंसलिंग के बाद उसने मां को सेक्सुअल असॉल्ट के बारे में बताया।
एक्सपर्ट्स ने कहा, आंखें खोल देने वाला केस : ग्रेटर फरीदाबाद में टीनएजर के स्यूसाइड को एक्सपर्ट्स 'मिसहैंडलिंग का नतीजा' बताते हैं। उन्होंने कहा कि रोहित के साथ वह सबकुछ हुआ जो एक संवेदनशील किशोर के साथ नहीं होना चाहिए था। शहर के एक साइकोलॉजिस्ट हरसिमरन सिंह ने कहा, 'इस बच्चे का केस किसी गंभीर मामले की मिसहैंडलिंग का क्लासिक केस है। उसने मदद मांगी और उसकी मां ने सबको हालत का पता लगने दिया जो दिखाता है कि बच्चे से इतर बुलिंग को बेहद सावधानी से हैंडल करने की जरूरत है।'
पैरंट्स ऐसे पहचानें लक्षण :
अनिंद्रा की समस्या या सिर में दर्द होना
आत्मविश्वास की कमी होना
बहुत ज्यादा खाना या खाना न खाना
स्कूल जाने से इंकार या न जाने के बहाने बनाना
स्कूल से पहले या आने के बाद चिंतित दिखाई देना
दूसरों से अलग रहने की कोशिश करना
खेलने में मन न लगना
पढ़ाई में मन न लगना
व्यवहार में असामान्य रूप से बदलाव
हर समय डर का अहसास होना
साइकोलॉजिस्ट्स ने कहा कि बुलिंग युवाओं के दिमाग में घर रही एक बड़ी समस्या का लक्षण है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ अरविंद कुमार ने कहा, 'किसी को उसके रंग या हाइट या यहां तक उसके चलने-फिरने, बात करने के तरीके पर छेड़ना, और चूंकि इन सबको लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं है, ऐसी आदतें नोटिस नहीं की जातीं और तभी पहचान में आती हैं जब कोई घटना हो जाती है।' एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टीचर्स और पैरंट्स को ट्रेन करने की जरूरत है।