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नई दिल्ली | एलएलबी के एक छात्र को अपने दोस्तों के साथ फर्जी कार चोरी का फर्जी बीमा दावा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस को फर्जी कार चोरी मामले के बारे में पता चलने के बाद, ऑटोमेटिक नंबर-प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरों की मदद से आरोपी को पकड़ लिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 2 फरवरी को बाबा हरिदास नगर थाने में कार चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता सचिन ने कहा था कि उसकी होंडा सिटी कार 1 फरवरी को उग्रसेन पार्क के पास से चोरी हुई थी। सचिन ने ई-एफआईआर दर्ज कराई थी।
द्वारका जिले की पुलिस टीम ने एएनपीआर कैमरों के लॉग के साथ घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया और देखा कि अपराधियों द्वारा अपराध करने में एक और कार का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन कैमरों से कुछ दूरी पर होने के कारण उस कार का नंबर स्पष्ट नहीं हो पाया। सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपी व्यक्तियों को झारोदा सीमा तक ट्रेस किया गया। पुलिस ने कहा- झरोदा सीमा पर एएनपीआर कैमरों के लॉग की जांच की गई और पाया गया कि अपराधियों द्वारा अपराध को अंजाम देने के लिए एक आई-आईओ कार का इस्तेमाल किया गया था। कार हरियाणा के झज्जर निवासी दीपक के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जो एलएलबी चतुर्थ वर्ष का छात्र है।
पूछताछ के दौरान, दीपक ने शुरू में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन लगातार पूछताछ में उसने अपराध में शामिल होने के बारे में खुलासा किया। दीपक ने कहा कि शिकायतकर्ता सचिन उसका कॉलेज का दोस्त था और दोनों ने मिलकर एक नई कार खरीदने की योजना बनाई, जिसके लिए वह सचिन की होंडा सिटी कार की चोरी का झूठा बीमा दावा करके धन जुटाना चाहते थे। बीमा का दावा करने के लिए, उन्होंने पहले दिल्ली पुलिस के पोर्टल पर एक कार ‘चोरी’ की सूचना देते हुए ई-एफआईआर दर्ज की। योजना के अनुसार, दीपक अपने एक अन्य दोस्त कृष्ण के साथ नजफगढ़-नांगलोई रोड पर गोशाला में उक्त वाहन ले गया। इसके बाद सचिन ने पुलिस में चोरी का झूठा मामला दर्ज कराया।
पुलिस ने कहा, वह अतिरिक्त लाभ के लिए कार को स्क्रैप डीलरों को बेचना चाहते थे। लेकिन दो दिनों के बाद, सचिन ने दीपक को सूचित किया कि पुलिस सीसीटीवी फुटेज का उपयोग कर वाहन का पीछा कर रही है, इसलिए उन्होंने योजना बदल दी और कार को सुनसान स्थान पर जला दिया। वाहन जलाने के बाद सचिन ने बीमा क्लेम किया जो अभी प्रक्रियाधीन है। इस हरकत के लिए दीपक को शिकायतकर्ता से कुल 35 हजार रुपए मिले।
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