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इंट्रा हॉस्पिटल नैविगेशन सिस्टम लागू करने की कवायद तेज

Admin Delhi 1
20 April 2023 10:26 AM GMT
इंट्रा हॉस्पिटल नैविगेशन सिस्टम लागू करने की कवायद तेज
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दिल्ली: यहां देश के कोने-कोने से लोग बेहतर इलाज के लिए पहुंचते हैं. लेकिन मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ और बहुत बड़े क्षेत्र में फैले एम्स के विभिन्न विभागों तक पहुंचने में कई बार मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

कई बार उन्हें पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें जिस विभाग में इलाज कराना है, वो कहां पर है. उनकी इसी समस्या के समाधान के लिए एम्स अब इंट्रा हॉस्पिटल नैविगेशन सिस्टम से लैस होने जा रहा है. दरअसल एम्स प्रशासन ने अपने सभी 58 विभागों तक मरीजों की पहुंच को आसान बनाने के लिए इंट्रा हॉस्पिटल नैविगेशन सिस्टम लागू करने की कवायद तेज कर दी हैं.

विभिन्न विभागों तक पहुंचना होगा आसान: अब मरीज और उनके तीमारदारों को इलाज के लिए एम्स अस्पताल के रोगी परामर्श केंद्र, ब्लड टेस्ट लैब और ऑपरेशन थियेटर सहित अन्य चिकित्सकीय विभागों को ढूंढने में मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. इसके लिए उन्हें सिर्फ अपने मोबाइल फोन का नेविगेशन सिस्टम चालू करना होगा, उसमें गंतव्य स्थल का नाम लिखना होगा और वह बिना किसी व्यवधान के अपने गंतव्य स्थल तक आसानी से पहुंच जाएंगे.

समिति का किया गया गठन: इसके लिए एम्स निदेशक प्रो एम श्रीनिवास ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रो डॉ विवेक टंडन सहित कंप्यूटर सुविधा के प्रभारी डॉ विवेक गुप्ता, अस्पताल प्रशासन विभाग के सहायक प्रो डॉ विकास एच के साथ एम्स के अधीक्षक अभियंता और कंप्यूटर सुविधा के एएसओ सतीश को शामिल किया गया है. समिति को निर्देश दिया गया है कि वह इस संबंध में अनुभवी सरकारी संगठनों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या भारत सरकार के तहत स्वायत्त निकाय संगठनों से बड़े पैमाने पर इनडोर नेविगेशन सिस्टम को लागू करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) हासिल कर तीन महीने के अंदर कार्य आवंटित करें.

एम्स के इन परिसरों को भी इनडोर नेविगेशन प्रणाली जाएगा जोड़ा: गौरतलब है कि एम्स के अंसारी नगर, झज्जर, बल्लभगढ़, त्रिलोकपुरी और गाजियाबाद में विस्तारित परिसर हैं. इन्हें अस्पताल की इनडोर नेविगेशन प्रणाली से जोड़ा जाएगा. यह अस्पताल के कर्मचारियों को अधिक कुशल बनाने और मरीजों या तीमारदारों के खो जाने के खतरे को कम करने में भी सहायता करेगा. वहीं इलाज की जगह तलाशने में वक्त लगने के चलते मरीज के उपचार में होने वाली देरी के मामले भी खत्म हो सकेंगे.

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