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प्रवर्तन निदेशालय जहांगीरपुरी हिंसा में लिप्त आरोपी अंसार की अकूत संपत्ति का पता लगाएगी

Admin Delhi 1
22 April 2022 5:13 PM GMT
प्रवर्तन निदेशालय जहांगीरपुरी हिंसा में लिप्त आरोपी अंसार की अकूत संपत्ति का पता लगाएगी
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दिल्ली: दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखकर जहांगीरपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है, क्योंकि संभवत: अवैध धन का इस्तेमाल 16 अप्रैल को दंगा करने के लिए किया गया था। पत्र मास्टरमाइंड अंसार के खिलाफ धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। दिल्ली पुलिस को शक है कि अंसार ने कई तरह के काले कारनामे के बदौलत अकूत संपत्ति अर्जित की है।

दंगे के लिए फंडिंग की जांच हुई तेज: पुलिस सूत्रों के अनुसार,रोहिंग्या मुस्लिम, बांग्लादेशी को अवैध तरीके से दिल्ली में बसाने को लेकर भी उसे फंडिंग हुई हो। जिस तरह से उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के मामले में पीएफआई व अन्य जगहों से दंगाइयों को करोड़ो की फंडिंग की बात सामने आई थी। हो सकता है उसी तरह जहांगीरपुरी मामले में भी दंगे के लिए फंडिंग हुई हो। इसके धन के सोर्स का पता लगाने के लिए पुलिस आयुक्त ने ईडी को भी जांच करने का अनुरोध किया है। वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे की तरह जहांगीरपुरी दंगे में भी विदेशी फंडिंग हुई है। ईडी की जांच में अंसार के अवैध कमाई का सारा राज खुल जाएगा। अंसार अभी क्राइम ब्रांच के पास रिमांड पर है। धार्मिक जुलूस पर पथराव के मामले में पुलिस ने असलम और अंसार को मास्टरमाइंड बनाया है।

गैंगस्टर छवि बनाने के लिए क्या पैसों का इस्तेमाल: अंसार पर शक है कि उसने देश के विभिन्न स्थानों पर अवैध तरीके से धन अर्जित कर बड़ी संपत्ति अर्जित की है। हालांकि अंसार के परिवार के सदस्यों द्वारा खरीदी गई सभी संपत्तियों की जांच की जाएगी अगर इन्हें अपराध की आय की मदद से खरीदा गया था, तो संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने पहले दावा किया था कि पूछताछ के दौरान अंसार ने नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल होने की बात कबूल की है। अवैध व्यापार के साथ, आरोपी ने पैसे की हेराफेरी की और इसका इस्तेमाल जहांगीरपुरी में गैंगस्टर जैसी छवि बनाने के लिए किया. अंसार ने शुरू में कबाड़ का कारोबार शुरू किया और बाद में इलाके में हेरोइन और स्मैक की आपूर्ति शुरू कर दी। अंसार के खिलाफ प्रिवेंटिव ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज होने की पूरी संभावना है। वित्तीय जांच एजेंसी को उसकी संपत्ति को जब्त करने का भी अधिकार है जो संभवत: आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से हासिल की गई थी इस बीच अंसार का पश्चिम बंगाल कनेक्शन भी सामने आया है।

बंगाल से तीन लोग क्राइम ब्रांच ने पकड़े: जहांगीरपुरी हिंसा में बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के महिषादल के कंचनपुर गांव से तीन लोगों को दिल्ली पुलिस ने बीती रात अलग-अलग इलाकों से पकड़ा। जिनकी पहचान असलम अली, असगर अली व मुख्तार अली के तौर पर हुई है,ये तीनों एक ही परिवार के सदस्य हैं। सूत्रों ने बताया कि इन तीनों से पूछताछ में महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगने की उम्मीद है। जहांगीरपुरी हिंसा कांड में महिषादल व हल्दिया के रहने वाले आठ लोगों के नाम सामने आए हैं। इनमें से छह लोगों के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी है। बाकी दो का पता लगाया जा रहा है। इसमें स्थानीय पुलिस की मदद ली जा रही है।

दिल्ली का आधार कार्ड, राशन कार्ड बंगाल का: दिल्ली पुलिस नंदकुमार थाने के सीतलपुर ग्राम पंचायत इलाके में गई जहां उन्होंने शहजादा के परिजनों से पूछताछ की। पुलिस सूत्रों के अनुसार शहजादा के आधार कार्ड में दिल्ली का पता है जबकि राशन कार्ड में पश्चिम बंगाल का पता है। इस बीच, दिल्ली पुलिस की टीम फिलहाल आगे की जांच के लिए जिले में रुकी हुई है। हालांकि खुफिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस हिंसा की साजिश एक सप्ताह पहले ही रच गई थी, जिसे अंजाम देने के लिए छतों पर पत्थर, रोड़े और ईंटें एकत्रित कर ली गई थीं। आरोपी अंसार ही इसका मास्टरमाइंड है। आईबी सूत्रों की मानें तो रामनवमी वाले दिन अंसार ने करीब एक दर्जन लोगों के साथ कुशल चौक के पास एक बैठक की थी। इस बैठक में हिंसा की साजिश को रचा गया था। जिसमें यह तय हुआ था कि हनुमान जयंती की शोभायात्रा को कुशल चौक से नहीं गुजरने दिया जाएगा।

इंटरनेट कॉलिंग करने वाले संदिग्धों का पता लगाने में जुटी: पुलिस अब साजिश रचने और वारदात को अंजाम देने के लिए इंटरनेट कॉलिंग करने वाले संदिग्धों का पता लगाने में जुट गई है। इसके लिए पुलिस इंटरनेट प्रॉटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (आईडीपीआर) के जरिये ऐसे संदिग्धों का पता लगा रही है। दरअसल, मामले की तफ्तीश में जुटी पुलिस टीम आईपीडीआर की मदद से यह जानकारी जुटाने में लगी कि जिस दिन हिंसा हुई थी उस दिन कितने फोन इलाके में लगे मोबाइल टावर से इंटरनेट के जरिए एक्टिव थे। चूंकि जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए कई बार अपराधी या फिर गिरोह के सरगना सामान्य कॉल पर बात न करके, इंटरनेट कॉलिंग करते हैं। इसलिए पुलिस हिंसा वाले दिन का आईपीडीआर निकाल कर पता लगा रही है कि उसदिन कितनी इंटरनेट कॉलिंग हुई थी और किन नंबरों का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा था।

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