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दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद, एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल भटकने को मजबूर मरीज, डॉक्टर्स ने बताया अपना दर्द

Renuka Sahu
18 Dec 2021 3:25 AM GMT
दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद, एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल भटकने को मजबूर मरीज, डॉक्टर्स ने बताया अपना दर्द
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फाइल फोटो 

नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द कराने की मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक बार फिर शुक्रवार से हड़ताल शुरू कर दी है। इ

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नीट पीजी की काउंसलिंग जल्द कराने की मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने एक बार फिर शुक्रवार से हड़ताल शुरू कर दी है। इस दौरान दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद रखी गईं। इससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भी अस्पताल में इलाज नहीं मिल सका। दिल्ली के लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग के कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल में लगभग सात हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहे।

स्वास्थ्य सेवाएं बहाल रखने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों को इमरजेंसी में तैनात किया गया था, लेकिन शुक्रवार को बहुत कम डॉक्टर नजर आए। दरअसल, नीट पीजी काउंसलिंग का पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट की ओर से इस मसले की अगली सुनवाई छह जनवरी को होनी है। लेकिन, डॉक्टरों का विरोध पिछले एक महीने से चल रहा है।
बीते छह दिसंबर को जब दिल्ली के अस्पतालों में हड़ताल शुरू हुई थी तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने वकील के जरिए कोर्ट में सुनवाई को प्राथमिकता देने की अपील करते हुए डॉक्टरों से कुछ समय मांगा था। इसलिए नौ दिसंबर को डॉक्टरों ने एक सप्ता‌ह के लिए हड़ताल स्थगित कर दी थी। लेकिन बीते बुधवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने देर रात बयान जारी करते हुए 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी।
डॉक्टर बोले, हमारी कोई नहीं सुन रहा
डॉक्टर इसलिए हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि अबतक नीट पीजी की काउंसलिंग नहीं हो सकी है, जबकि रिजल्ट आए काफी वक्त बीत चुका है। डॉक्टरों का नया समूह इस वजह से अस्पताल में बतौर पीजी ज्वॉइन नहीं कर पा रहा है। इसका असर मरीजों के अलावा वहां काम कर रहे अन्य रेजिडेंट के काम पर भी पड़ रहा है।
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि हमारी कोई नहीं सुन रहा। कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में नए डॉक्टरों की भर्ती न होने से फिर दूसरी लहर जैसे हालात बन सकते हैं। ऐसे में वे जल्द काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं। पिछले सप्ताह भी डॉक्टरों ने हड़ताल की थी और सरकार को काउंसलिंग के लिए एक हफ्ते का समय दिया था, लेकिन एक हफ्ते बाद भी काउंसलिंग नहीं हुई।
लोकनायक अस्पताल:
घंटों इंतजार के बाद भी मायूसी- दिल्ली के लोकनायक अस्पताल हड़ताल की वजह से सबसे अधिक प्रभावित रहा। यहां सुबह से ही इमरजेंसी में डॉक्टरों ने मरीजों को वापस लौटना शुरू कर दिया। इनमें कैंसर पीड़ित से लेकर किडनी और पेट की बीमारी से जूझ रहे गंभीर मरीज शामिल हैं। कुछ मरीज तो ऐसे थे जो उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से आए थे, लेकिन घंटों इमरजेंसी के बाहर बैठने के बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगी। वहां इंतजार कर रहा एक मरीज थककर जमीन पर गिरने लगा तो उसे किसी तरह उसके बेटे ने संभाला।
आगरा से किया गया रेफर
उत्तरप्रदेश के जेवर के रहने वाले कुंवरपाल सिंह अपने 27 साल के भाई राजवीर को लोकनायक अस्पताल लेकर पहुंचे। उनके भाई को दिमाग की टीबी है। वह कुछ बोल नहीं पा रहे थे। हड़ताल की वजह से उन्हें वापस कर दिया गया। साइकिल रिक्शे में बिठाकर परिजन उन्हें अस्पताल से बाहर ले गए। उनके भाई को आगरा से दिल्ली रेफर किया गया था।
जीबी पंत अस्पताल
घंटों एंबुलेंस में पड़ी रहीं, कोई देखने नहीं आया- यूपी के संभल निवासी हामिद हसन शुक्रवार सुबह अपनी बीमार पत्नी आसिफा को लेकर जीबी पंत अस्पताल पहुंचे। उनकी पत्नी को कैंसर है। उन्हें शुक्रवार का समय दिया गया था, मगर मरीज की हालत देख अस्पताल ने कहा कि यहां भर्ती नहीं कर सकते। उन्हें लोकनायक अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाने को कहा गया। हामिद का कहना था कि वहां से लोकनायक अस्पताल पहुंचे तो रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया गया।
घंटों तक एंबुलेंस में बीमार पत्नी इलाज मिलने का इंतजार करती रही। वहीं, हालात से लाचार और परेशान हामिद का कहना था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि कहां जाएं। दिल्ली में कोई जानने वाला नहीं है, कोई रिश्तेदार नहीं है। ऐसे में घर वापस ले जाएं या किसी दूसरे अस्पताल जाएं। दूसरे सरकारी अस्पतालों में भी हड़ताल की चर्चा है। निजी अस्पताल में पता नहीं कितना खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि पत्नी को कैंसर है और इंफेक्शन बहुत ज्यादा है। थक हार कर वे शाम चार बजे लोकनायक अस्पताल से किसी और अस्पताल की ओर निकल पड़े।
सफदरजंग अस्पताल
इमरजेंसी में बेड खाली- सफदरजंग अस्पताल की इमरजेंसी में शुक्रवार को बड़ी संख्या में बेड खाली पड़े थे। अमूमन यहां पैर रखने की जगह नहीं होती है। यहां कुछ ही मरीजों का इलाज हो रहा था। 95 फीसदी से अधिक बेड खाली नजर आ रहे थे। यहां दो मरीज दिखाई दिए। उनके परिजनों ने बताया कि सुबह से कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आया है। इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस आती रहीं, गंभीर मरीज और उनके परिजन गिड़गिड़ाते रहे पर इलाज नहीं मिल सका।
इमरजेंसी भी प्रभावित
-सफदरजंग अस्पताल
-राम मनोहर लोहिया
-सुचेता कृपलानी अस्पताल
-कलावती सरन अस्पताल
-लोकनायक अस्पताल
-जीटीबी अस्पताल
-जीबी पंत अस्पताल
यहां सेवाएं सामान्य
-एम्स
-अंबेडकर अस्पताल
-संजय गांधी अस्पताल
-हिंदूराव अस्पताल
-कस्तूरबा गांधी अस्पताल
-दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल
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