दिल्ली-एनसीआर

डीएसटी ने निजी स्कूल का आदेश को रद्द करते हुए कहा- कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत महिला टीचर भी मातृत्व अवकाश की हकदार

Renuka Sahu
21 May 2022 5:02 AM GMT
DST canceled the order of private school and said female teachers working on contract are also entitled to maternity leave
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फाइल फोटो 

मातृत्व अवकाश लेने पर निजी स्कूल अनुबंध पर काम करने वाली शिक्षिका को नौकरी से नहीं निकाल सकते।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) लेने पर निजी स्कूल अनुबंध पर काम करने वाली शिक्षिका को नौकरी से नहीं निकाल सकते। दिल्ली स्कूल न्यायाधिकरण (डीएसटी) ने एक मामले में यह फैसला दिया है। न्यायाधिकरण ने मातृत्व अवकाश पर जाने की वजह से अनुबंध पर कार्य करने वाली शिक्षिका को नौकरी से निकाले जाने के एक निजी स्कूल के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला दिया है। न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी दिलबाग सिंह पूनिया ने स्कूल प्रबंधन को शिक्षिका को सभी लाभ के साथ दोबारा से बहाल करने का भी आदेश दिया है।

न्यायाधिकरण ने आकांक्षा सिंह की ओर से अधिवक्ता अनुज अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है। उन्होंने याचिका में स्कूल प्रबंधन द्वारा मातृत्व अवकाश पर जाने के चलते नौकरी से निकाले जाने के 16 दिसंबर, 2018 के फैसले को चुनौती दी थी। न्यायाधिकरण ने स्कूल प्रबंधन की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता अनुबंध कर कार्यरत थी और नियुक्ति की शर्तों में मातृत्व अवकाश का जिक्र नहीं था।
न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि मातृत्व अवकाश देने से इनकार करना वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है और स्कूल को ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। न्यायाधिकरण ने कानूनी प्रावधानों, पूर्व के फैसलों और दिल्ली सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया है। न्यायाधिकरण ने मॉडर्न स्कूल, वसंत विहार को चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को दोबारा से बहाल करने और सभी लाभ देने का आदेश दिया है।
यह मामला है :
नौकरी से निकाले जाने को न्यायाधिकरण में चुनौती देते हुए आकांक्षा सिंह ने याचिका में कहा कि उन्होंने 1 जुलाई 2013 को मॉडर्न स्कूल वसंत विहार में प्राइमरी टीचर के रूप में सेवा शुरू की। उनकी नियुक्ति की अवधि बढ़ाने के लिए कई बार स्कूल प्रबंधन की ओर से पत्र जारी किया गया था। सिंह की ओर से वकील अनुज अग्रवाल ने याचिका में कहा कि उनकी मुवक्किल 15 नवंबर, 2018 से 15 दिसंबर, 2018 तक मातृत्व अवकाश पर रहीं और जब अगले दिन स्कूल गईं तो उन्हें मौखिक तौर पर नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी गई। अग्रवाल ने याचिका में इसे कानूनी प्रावधानों और दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के प्रावधानों का हनन बताते हुए स्कूल के आदेश को रद्द करने और अपने मुवक्किल को दोबारा से बहाल करने का आदेश देने की मांग की थी।
मना नहीं कर सकते स्कूल : दिल्ली सरकार
इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए दिल्ली सरकार ने न्यायाधिकरण को बताया कि सभी मान्यता प्राप्त स्कूल दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम/नियम का पालन करने के लिए बाध्य हैं। सरकार ने कहा कि स्कूल अपने महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश देने से इनकार नहीं कर सकता है। साथ ही कहा कि इस मामले में जरूरी कानूनी प्रावधानों का स्कूल ने पालन नहीं किया।
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