दिल्ली-एनसीआर

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती से घबराए ड्रग्स तस्कर, अब विदेशी गैंग से कर रहे डील

Renuka Sahu
1 Aug 2022 4:52 AM GMT
Drug smugglers are strictly afraid of police and security agencies, now dealing with foreign gangs
x

फाइल फोटो 

देश में ड्रग्स तस्करी के खिलाफ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती को देखते हुए तस्कर अब विदेशी गैंग से अधिक डील कर रहे हैं, ताकि वे जल्दी पकड़ में न आ सकें।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में ड्रग्स तस्करी के खिलाफ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती को देखते हुए तस्कर अब विदेशी गैंग से अधिक डील कर रहे हैं, ताकि वे जल्दी पकड़ में न आ सकें। तस्कर न सिर्फ डार्कनेट का इस्तेमाल कर विदेशी गैंग से ऑर्डर मंगा रहे हैं, बल्कि भुगतान भी बिटक्वॉइन से कर रहे हैं। इस बात का खुलासा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), दिल्ली पुलिस की नारकोटिक्स इकाई समेत नारकोटिक्स से जुड़ीं देश की अन्य महत्वपूर्ण एजेंसियों की हाल में की गई कार्रवाई के विश्लेषण से हुआ है।

पता चला है कि देश में ड्रग्स तस्करी में 61 फीसदी तक हिस्सेदारी विदेशी गिरोह की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, विदेशी ड्रग डीलर डार्कनेट पर अपना कारोबार करते हैं, जिसके जरिए उन तक पहुंचना काफी मुश्किल है। वहीं, भुगतान के लिए भी वे भारतीय मुद्रा या फिर किसी अन्य देश की करंसी के बजाय, वर्चुअल करेंसी में ही लेन-देन करते हैं। सबकुछ डिजिटल होने से इन गैंग पर जांच एजेंसियों की नजर कम जाती है।
क्या है डार्क नेट
विदेशी ड्रग तस्कर डार्कनेट में ही ज्यादा डील करते हैं। इस कारण एजेंसियों के लिए इनके नेटवर्क तक पहुंचना कठिन होता है। डार्क नेट को इंटरनेट की काली दुनिया कहा जाता है। डार्कनेट की ब्राउजिंग अज्ञात हो जाती है। इसमें साइट डॉटकॉम की जगह डॉट ऑनियन एक्सटेंशन में खुलती है, जिसमें यूजर की गतिविधि दिखाई नहीं देती। यहां तक कि गूगल और बिंग जैसे सर्च इंजन पर भी ये लिस्ट नहीं होती।
विदेशी नेटवर्क
विदेश से जिस रास्ते नशीला पदार्थ आता है उसे गोल्डन क्रीसेंट कहते हैं। गुप्त रास्तों से ड्रग्स ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए पंजाब के रास्ते देश में पहुंचाया जाता है। पहले ड्रग्स की खेप सीधे पंजाब बॉर्डर से पहुंचाई जाती थी, लेकिन पठानकोट हमले के बाद सीमा पर ज्यादा निगरानी के कारण अब राजस्थान होकर ड्रग पंजाब पहुंचाया जाता है। बॉर्डर से सटे नहर, नदी, नालों वाले इलाकों से होकर ड्रग्स को अन्य इलाकों तक पहुंचाते हैं।
देसी नेटवर्क
गांजा: आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओसम, मणिपुर और नेपाल से
चरस/हशीश: हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल से
अफीम: मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और झारखंड से
हेरोइन/स्मैक: पंजाब, उत्तर प्रदेश और मणिपुर से
कोकीन: अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका से
Next Story