दिल्ली-एनसीआर

फेज-4 के तीनों कॉरिडोर पर दौड़ेगी ड्राइवरलेस ट्रेन, तकनीक के हाथों होगी मेट्रो की कमान

Renuka Sahu
18 July 2022 6:19 AM GMT
Driverless train will run on all three corridors of Phase-4, the command of the Metro will be in the hands of technology
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फाइल फोटो 

दिल्ली मेट्रो में नए स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली मेट्रो में नए स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। नेटवर्क और यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी को स्वदेशी स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण प्रणाली (आईएटीएस) और कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) प्रणाली का दिल्ली मेट्रो भी उपयोग कर रहा है। दोनों ही स्वदेशी तकनीक हैं और इन्हें अधिक सुरक्षित और त्वरित माना जाता है। इसी तकनीक की बदौलत मेट्रो की फ्रिक्वेंसी भी बढ़ाई जा सकेगी। मेट्रो फेज-4 के तीनों कॉरिडोर के तैयार होने से यात्रियों को इस तकनीक का पूरा-पूरा फायदा मिलने लगेगा। इसके साथ नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) को लागू करने की भी तैयारी चल रही है। इसमें भी तकनीक की अहम भूमिका होगी।

मेट्रो परिचालन को धीरे-धीरे स्वचालित बनाने की तरफ दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के कदम बढ़ रहे हैं। इसके लिए संचार माध्यमों से परिचालन प्रणालियों को एकीकृत किया जा रहा है। डीएमआरसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, रेड लाइन पर देश में विकसित सिग्नलिंग तकनीक को लागू किया गया है। आईएटीएस का विकास डीएमआरसी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की टीम ने संयुक्त रूप से किया है। इस तकनीक से सिग्नलिंग के मामले में डीएमआरसी और आत्मनिर्भर हो जाएगा। इससे केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया पहल को भी बढ़ावा मिलेगा।
मेट्रो सेवाएं होने लगी हैं स्वचालित
आईएटीएस एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है। इससे मेट्रो परिचालन को धीरे-धीरे स्वचालित बनाया जा रहा है। इस तकनीक के जरिये मेट्रो परिचालन चंद मिनटों तक निर्धारित किया जाता है। स्वदेशी तकनीक होने के कारण इसे आईएटीएस का नाम दिया गया है। इससे दूसरे देशों पर दिल्ली मेट्रो की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। यह स्वदेशी तकनीक संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) आधारित सिग्नलिंग की दिशा में अहम कदम है।
कई प्रणालियों को किया जा रहा एकीकृत
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने सीबीटीसी सिस्टम के तहत अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है। संचार आधारित इस तकनीक के जरिये नियंत्रण कक्ष में बैठकर ही मेट्रो का परिचालन संभव है। इस तकनीक की मदद से मजेंटा और पिंक लाइन पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन किया जा रहा है। फेज-4 की तीनों कॉरिडोर पर इस तकनीक के जरिये ड्राइवरलेस मेट्रो का परिचालन किया जाएगा।
90 सेकेंड के अंतराल पर मिलेगी दूसरी मेट्रो
फेज-4 के कॉरिडोर पर मेट्रो नेटवर्क के विस्तार से यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। डीएमआरसी के मुताबिक, इसे देखते हुए मेट्रो की फ्रिक्वेंसी को भी बढ़ाना होगा। अलग-अलग लाइनों पर फिलहाल ढाई से पौने तीन मिनट के अंतराल पर मेट्रो सेवाएं उपलब्ध हैं। मेट्रो की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए फ्रिक्वेंसी भी बढ़ाई जाएगी। इसके बाद मेट्रो महज 90 सेकेंड के अंतराल पर उपलब्ध होगी। सभी लाइनों पर मेट्रो की उपलब्धता से यात्रियों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध होंगी।
एनसीएमसी से यात्रा होगी और आसान, कई सुविधाएं मिलेंगी
नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) के लिए भी दिल्ली मेट्रो तकनीक में बदलाव किया जा रहा है। इसके साथ ही ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) गेट को भी अपग्रेड किया जा रहा है। इस कार्ड का इस्तेमाल मेट्रो, बस, पार्किंग, मॉल्स सहित कई और जगहों पर किया जा सकेगा। पहले 2022 तक लागू किया जाना था, लेकिन कोविड-19 के कारण परियोजनाओं में हुई देरी का इस पर भी असर पड़ा है। साथ ही, यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो सभी सेवाओं को एकीकृत करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। इसके बाद यात्री टिकट खरीदने के लिए क्यू आर कोड, क्रेडिट, डेबिट कार्ड, मोबाइल का भी इस्तेमाल कर सकेंगे।
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