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डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने संस्कृत को विधि संकाय पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने की बात कही

Admin Delhi 1
28 Sep 2022 7:37 AM GMT
डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने संस्कृत को विधि संकाय पाठ्यक्रम में अनिवार्य करने की बात कही
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दिल्ली न्यूज़: विधि संकाय में संस्कृत विषय का अध्ययन अनिवार्य करना चाहिए। संगोष्ठी के विषय के साथ तभी न्याय हो सकता है,जब दो बातों को आवश्यक रूप से लागू किया जाए। पहला भारतीय विधि संकाय शिक्षा संस्थानों में संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए। दूसरा मीमांसा वैचारिकी को वर्तमान समय में देश की कानून न्याय प्रक्रिया के साथ जोड़ा जाना चाहिए। यह बाते मंगलवार को पूर्व विधि एवं न्याय केंद्रीय मंत्री डॉ.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हंसराज कॉलेज में अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ द्वारा विश्व हिंदू परिषद पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल की जयंती पर आयोजित न्यायापालिका का भारतीयकरण विषय पर संगोष्ठि में बतौर मुख्यवक्ता कहीं।

भारत में बौद्धिक वर्ग के कई लोग अपनी औपनिवेशिक सोच के चलते संस्कृत की महत्ता को कमतर आंकते: डॉ.स्वामी ने कहा कि आज विश्व भर में संस्कृत को अनेक विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा है परंतु भारत में आज भी बौद्धिक वर्ग के कई लोग अपनी औपनिवेशिक सोच से ग्रसित होने के कारण संस्कृत की महत्ता को कमतर आंकते हैं। अनुसंधान के निदेशक डॉ. चंद्रप्रकाश सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा और विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला। गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ,दिल्ली के प्रो.अमरपाल सिंह ने कहाकि सामाजिक बदलाव के लिए कानून के साथ-साथ समाज की सोच को बदलने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। तीर्थंकर महावीर विवि मुरादाबाद के अधिष्ठता प्रो.हरबंस दीक्षित कहा कि विश्व भर में औपनिवेशिक शासित कई देशों में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें लोकतंत्र सर्वाधिक मजबूत स्थिति में है उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए न्यायपालिका को भारत के आमजन से जुड़े रहने की आवश्यकता है।

ये विभूतियां रही उपस्थित: कार्यक्रम का संचालन प्रो.राकेश पांडेय ने किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ संजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल कुलपति मनोनित सदस्य डॉ. राजकुमार भाटिया , प्रो.रघुवंश सिंघल, विश्वविद्यालय प्रॉक्टर प्रो.रजनी अब्बी, प्रो. गीता भट्ट निदेशक एनसीडब्ल्यूईबी ,कई महाविद्यालयों के प्राचार्य व शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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