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दिल्ली न्यूज: दिल्ली के अखिल भारतीय भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने कई घंटों तक चले ऑपरेशन के बाद आपस में जुड़े जुड़वां बच्चों को सफलतापूर्वक अलग कर दिया। एम्स ने बुधवार को एक बयान में कहा कि दोनों बहनें छाती से जुड़ी हुई थीं। जिन्हें एक दूसरे से सफलतापूर्वक अलग किया गया है। दोनों बच्चियों का लीवर, छाती की हड्डियां, फेफड़ों का डायफ्रॉम और दिल के कुछ हिस्से भी आपस में जुड़े थे। बयान में यह भी कहा गया कि एम्स दिल्ली के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग ने डॉ. मीनू बाजपेयी के नेतृत्व में आपस में जुड़े जुड़वा बच्चों को सफलतापूर्वक अलग किया। लीवर और दिल (हृदय) के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था। सर्जनों की कई टीमों ने बारी-बारी से सर्जरी को सटीक और कुशलता से पूरा किया।
स्त्री रोग विभाग के डॉक्टरों ने एम्स में ही इनका प्रसव कराने की तैयारी की। प्रसव के बाद डॉ. मीनू वाजपेई के नेतृत्व में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की टीम ने 11 महीने बाद सर्जरी कर दोनों बच्चों को अलग करने का फैसला लिया। पिछले महीने 11 जून के करीब नौ घंटे तक चली सर्जरी के बाद दोनों अलग हो गईं। इसी सप्ताह दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी।
बच्चियों की मां दीपिका ने इनका नाम रिद्धि और सिद्धि रखा है। पिता अंकुर ने कहा, एम्स ने उनके साथ परिवार जैसा व्यवहार किया है। उनकी मां उन्हें एम्स में ही डाक्टर बनाना चाहती हैं। बता दें कि इस सर्जरी में इसमें डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत करीब 64 लोगों के दल ने काम किया।
बच्चों को क्रिटिकल केयर यूनिट में प्रबंधित किया गया था। विभिन्न विभागों के इनपुट और हमारे नर्सिंग स्टाफ की कड़ी देखभाल से दोनों स्वस्थ होने में सक्षम हुईं। दोनों बच्चियां अब अस्पताल से घर जाने के लिए तैयार हैं। बयान में कहा गया है कि जुड़वा बच्चों को अलग करना एक जटिल सर्जरी है। जिसमें रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, नर्सिंग आदि सहित विभिन्न विभागों द्वारा समन्वय और सावधानीपूर्वक योजना तथा कार्यान्वयन की जरूरत होती है। जुड़े हुए जुड़वां बच्चे वे बच्चे होते हैं जो जन्म से ही एक-दूसरे से शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं।