दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली एयरपोर्ट पर खत्म होगा डीजी ऐप से फर्जी टिकट का अपराध

Renuka Sahu
30 Aug 2022 5:58 AM GMT
DG app will end the crime of fake tickets at Delhi airport
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फाइल फोटो 

दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू किया गया डीजी ऐप फर्जी टिकट से प्रवेश को भविष्य में खत्म कर देगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू किया गया डीजी ऐप फर्जी टिकट से प्रवेश को भविष्य में खत्म कर देगा। इस ऐप के 100 फीसदी इस्तेमाल होने पर फर्जी टिकट पर कोई शख्स एयरपोर्ट के भीतर प्रवेश नहीं कर सकेगा। हवाईअड्डे पर लगे गेट केवल उसी यात्री के लिए खुलेंगे, जिसके विमान से सफर का रिकॉर्ड वहां मौजूद होगा। इससे न केवल पुलिस, बल्कि अदालत का भी कीमती समय बचेगा।

गेट पर ही पता चल जाएगा
हाल ही में डायल ने दिल्ली एयरपोर्ट पर डीजी ऐप के माध्यम से प्रवेश करने के लिए गेट लगाए हैं। इस पर लगी मशीन में उन यात्रियों का डाटा होता है, जो विमान से सफर करने वाले हैं। ऐप का इस्तेमाल करने वाले यहां लगे कैमरे के सामने केवल चेहरा दिखाकर तीन सेकंड में एयरपोर्ट के भीतर प्रवेश कर सकते हैं।
अब तक पांच हजार से ज्यादा लोगों ने इसे डाउनलोड किया है। भविष्य में सरकार इस ऐप के माध्यम से ही 100 फीसदी यात्रियों को प्रवेश देने की दिशा में काम कर रही है। ऐसा होने पर फर्जी टिकट से दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रवेश पाना नामुमकिन हो जाएगा, क्योंकि इस गेट पर लगी मशीन में उन यात्रियों का डाटा विमान कंपनी डालेंगी, जो उस दिन सफर करने वाले हैं।
मामूली गलती बन जाती है अपराध
पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस तरह के 3-4 मामले प्रत्येक महीने एयरपोर्ट थाने में दर्ज होते हैं। अपने करीबी को अंदर तक छोड़ने के लिए लोग टिकट से छेड़छाड़ कर फर्जीवाड़ा करते हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि यह अपराध है। ऐसे अपराधों में कई बार एक से दो साल तक मुकदमे की सुनवाई अदालत में चलती है। ऐसे मामलों में सामान्य तौर पर 10 से 20 हजार तक का जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों की वजह से पुलिस एवं अदालत का समय बर्बाद होता है।
ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
अभी एयरपोर्ट में प्रवेश के लिए यात्री को अपना टिकट और पहचान पत्र दिखाना होता है। कई बार लोग फर्जी टिकट (कैंसिल टिकट एवं एडिट की गई टिकट) दिखाकर एयरपोर्ट में प्रवेश कर जाते हैं। जम़ानत मिलने के बावजूद, लंबे समय तक केस चलता है। एयरपोर्ट पर प्रत्येक महीने ऐसे तीन से चार मामले आते हैं।
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