दिल्ली-एनसीआर

सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

Admin Delhi 1
20 March 2023 6:00 AM GMT
सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
x

नॉएडा न्यूज़: उ. प्र. विधानसभा सदन के सत्र का मौका हो या अधिकारियों के साथ बैठकों का या फिर विभिन्न जिलों के दौरे और जनसभाओं के दौरान भाषणों का मौका हो, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भ्रष्टाचारियों, माफियाओं और गुंडे बदमाशों के विरुद्ध अपनी जीरो टोलरेंस नीति के तहत कार्रवाई करने के सख्त लहजे में संदेश देते रहे हैं। हालांकि गुंडई के मामले में इन सख्त संदेशों के कुछ अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के सख्त संदेश के बाद भी सरकारी महकमों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता नजर नहीं आ रहा बल्कि बढ़ोतरी ही नजर आ रही है।

जनपद गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर गौर फरमाएं तो मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अभी तक बेअसर नजर आ रही है। जिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी तलख टिप्पणी कर चुका है, इन नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में अभी तक कोई संतोषजनक सुधार नजर नहीं आया है।

इसी तरह एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री अवैध कॉलोनी बसाने के विरुद्ध सख्त आदेश देते रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ नोएडा, ग्रेटर नोएडा ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में स्थित प्राधिकरण क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध कॉलोनी काटी जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि इन अवैध कालोनियों को काटे जाने के विषय में प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों को कोई जानकारी न हो बल्कि वास्तविकता यह है कि प्राधिकरण से संबंधित अधिकारी भी इसमें संलिप्त नजर आते हैं।

निर्माण कार्यों की खराब गुणवत्ता

जहां ग्रेटर नोएडा एवं नोएडा की स्थापना के प्रारंभिक एक दशक डेढ तक ठेके पर निर्मित सड़कों एवं अन्य निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर अच्छा खासा ध्यान रखा जाता था, वहीं अब आए दिन खराब गुणवत्ता से निर्मित सड़कों एवं अन्य निर्माण कार्यों की शिकायतें आम हो गई हैं। इस तरह ज्यों-ज्यों भ्रष्टाचार रूपी मर्ज बढ़ता गया त्यों- त्यों लाइलाज होता गया। इसीलिए भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने वाली सरकार भी भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम सी नजर आ रही है।

जहां प्रदेश के मुखिया नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इन्वेस्टर्स को इन्वेस्ट करने का लगातार न्योता दे रहे हैं वहीं किसानों के आबादी प्रकरण, भूखंड आवंटन और लीजबैक मामलों का निस्तारण न किये जाने से आए दिन धरना प्रदर्शन और किसानों के हा-हाकार की खबरों से निश्चित ही इन्वेस्टर्स पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी किसानों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति प्राधिकरण के अधिकारियों और सरकार के गंभीर नजर नही आने से सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। अधिकारियों की इस तरह की कारगुजारियों से मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति तार-तार होती नजर आ रही है। जिस प्राधिकरण की दहलीज पर कदम रखते ही किसान की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा हो और किसानों के बार-बार चीखने और चिल्लाने के बाद भी प्राधिकरण के अधिकारी किसानों की समस्याओं के निस्तारण के प्रति गंभीर नहीं हो, वहां सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास जैसे नारे पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है।

जीरो टॉलरेंस नीति को लगा बट्टा

यहां तक की ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीजबैक जांच हेतु शासन द्वारा गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट उजागर न किया जाना भी मुख्यमंत्री जी की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को बट्टा लगा रहा है।

आज तक गांव देहात के लोग प्राधिकरण द्वारा ठेके पर कराई जा रही खराब गुणवत्ता की सफाई की शिकायत करते नजर आते थे लेकिन अब तो भ्रष्टाचार का आलम यह है कि ग्रेटर नोएडा के सेक्टर वासी भी सफाई न होने की और कूड़ों के लगे ढेर की आए दिन शिकायत करते नजर आ रहे हैं।

गिरती हुई साख

अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर ऐसे कौन से कारण है जिससे आए दिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की साख गिरती जा रही है ? उन पर सुधार के लिए प्राधिकरण के अधिकारी और सरकार गंभीर क्यों नहीं है ? सवाल यह भी खड़ा होता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति इन प्राधिकरणों में क्यों पूरी तरह विफल है ? जबकि आमतौर पर प्राधिकरण में सरकार के अति विश्वसनीय उच्च अधिकारियों को ही तैनाती मिलती है। इसलिए सरकार को इस विषय पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है क्योंकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा यमुना प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों को सीधे सरकार से जोड़कर देखा जाता है।

Next Story