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दिल्ली एनसीआर: दिल्ली में आयोजित हो रहे G-20 के सम्मेलन को अब बस कुछ ही दिन बचे हैं और युद्धस्तर पर उसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है. इसी के तहत सुरक्षा के ऐसे इंतेजाम किये जा रहे है मानों दिल्ली को एक अभेद्ध किले में बदल दिया जाएगा. इसके लिये सेना को भी सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद का टास्क दिया गया है. इस टास्क के लिए सेना के 3 ब्रिगेड जिनमें दो इंफ़ैंट्री और एक आर्टलरी ब्रिगेड है के अलावा कुछ अन्य दिल्ली में स्थित सेना की यूनिट को सुरक्षा इंतेजामों के लिए तैयार रखा गया है.
मेरठ से फील्ड अस्पताल जिसकी कैपेसिटी इमर्जेंसी में 24 ऑपरेशन को अंजाम देने की है साथ ही 120 से 130 मरीजों के इलाज करने की है उसे प्रशासन के साथ सहयोग के लिए अलर्ट पर रखा है. इस फील्ड अस्पताल की क्विक रियेक्शन मेडिकल टीम की 8 से 10 यूनिट की तैनाती होगी जो कि किसी भी तरह के जैविक, रासायनिक और न्यूक्लियर हमले के मद्देनजर अपने काम को अंजाम देगी. इसके अलावा बॉम डिस्पोजल स्क्वाड, एक्सक्लूसिव डिटेकशन टीम में 20 स्निफ़र डॉग, एयर डिफेंस के लिए 2 से 3 वेहिकल, माउंटेड एंटी ड्रोन सिस्टम और लेजर डेजलरों की भी तैनाती होगी जो कि किसी भी तरह के ड्रोन को सॉफ़्ट और हार्ड किल कर हमले के खतरे को विफल करेगी.
सुरक्षा बंदोबस्त के लिए दूसरे राज्यों से अगर सुरक्षाबलों या पुलिस को दिल्ली में बुलाया जाता है एसे में उनके रहने या लॉजेस्टीक सपोर्ट के लिये सेना को तैयार रहने को कहा गया है. एडमिन्सट्रेटिव सपोर्ट के लिए प्रशासन की मदद के लिए सेना ने अपने सारे उपकरण को स्टैंड बाय पर रखा हुआ है. किसी भी आपातकाल की स्थिति में सेना का प्लान B भी तैयार है. सेना की सभी गतिविधियों को जीओसी दिल्ली एरिया लीड करेंगे.
किसी भी तरह के एरियल अटैक से निपटने के लिए भारतीय थल सेना और वायुसेना के एयर डिफेंस सिस्टम दिल्ली और दिल्ली के आसपास के इलाके में तैनात होंगे. जिस तरह से 26 जनवरीऔर 15 अगस्त के दौरान वेस्टर्न बॉर्डर यानी की पाकिस्तान से लगती सीमा पर हर वक्त भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट राउंड द क्लॉक कांबेट एयर पेट्रोलिंग पर होंगे. इसके साथ ही सभी लांग, मीडियम और शॉर्ट रेंज रडार लागातार किसी भी अवांछित हवाई खतरे को मॉनिटर करते करेंगे हैं. वेस्टर्न बॉर्डर के सभी एयर बेस को हाई अलर्ट पर रहते और महज़ कुछ मिनट के भीतर किसी भी एयर बेस से फाइटर जेट स्क्रैंबल करेंगे.
एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&CS ) लगातार उड़ान भरता रहेगा. इसका काम है सर्विलांस, ट्रैकिंग, आइडेंटिफ़िकेशन एंड क्लॉसिफिकेशन और बैलास्टिक मिसाइल को भी डिटेक्ट कर सकता है. इसके अलावा वायुसेना के फाइटर लगातार दिल्ली और उसके आसपास भी आसमान में नजर बनाए रखेंगे है. वायुसेना की जिम्मेदारी है एयर स्पेस सैनेटाइजेशन की जिसके तहत कोई भी एसा ऑब्जेक्ट जैसे की कोई भी लो फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट, एयरक्रफ्ट या ड्रोन आसमान में नहीं होना चाहिए जिस पर पाबंदी है.
चूंकि मामला G-20 की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और संवेदनशील है तो कौन सा एयर डिफेंस सिस्टम कहां तैनात होगा, ये साझा नहीं किया जा सकता लेकिन इतना तो तय है कि G-20 की बैठक के दौरान सुरक्षा के लिहाज से पूरी दिल्ली एक अभेद्य क़िले में तब्दील कर दी जाएगी.
Manish Sahu
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