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कोरोना की वजह से सुस्त पड़ी दिल्ली के ऑटो रिक्शा की रफ्तार
Gulabi
16 Jan 2022 2:47 PM GMT
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सुस्त पड़ी दिल्ली के ऑटो रिक्शा की रफ्तार
भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर जारी है. देशभर में रोजाना कोरोना वायरस के 2.5 लाख से भी ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है. कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) के साथ आई महामारी की तीसरी लहर ने एक बार फिर लोगों की आमदनी पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है. दरअसल, देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में रोजाना कोरोनावायरस के 20 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. दिल्ली में इस वक्त कोरोना की पॉजिटिविटी रेट 30 फीसदी से भी ज्यादा है. दिल्ली के मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं. महामारी की रफ्तार पर लगाम कसने के लिए दिल्ली में शनिवार और रविवार को वीकेंड कर्फ्यू लगाया गया है. जिसकी वजह से अलग-अलग रोजगार से जुड़े लोगों का काम प्रभावित हो रहा है.
कोरोना की वजह से सुस्त पड़ी दिल्ली के ऑटो रिक्शा की रफ्तार
दिल्ली की सड़कों पर फर्राटा भरने वाला ऑटो रिक्शा इन दिनों काफी सुस्त पड़ गया है. जिन ऑटो रिक्शा से दिल्ली की सड़कें गुलजार रहती हैं, आज वही सड़कें वीरान पड़ी हैं. दिल्ली के बदरपुर में रहने वाले राजेश दूबे ऑटो रिक्शा की कमाई से अपना परिवार चलाते हैं. राजेश दूबे ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर में उनका काम बहुत कम हो गया है. उन्होंने कहा कि आम दिनों में वीकेंड पर अच्छा काम मिल जाता था, लेकिन अब वीकेंड पर तो ढूंढने पर भी सवारियां नहीं मिल रही हैं. दिल्ली में वीकेंड का आलम ये है कि जहां आम दिनों में शनिवार-रविवार के दिन 1500 से 2000 रुपये तक का काम मिल जाता था, अब वीकेंड पर एक दिन में मुश्किल से 100-200 रुपये का ही काम मिल रहा है.
वीकेंड कर्फ्यू की वजह से शनिवार-रविवार को नहीं मिल रही सवारी
राजेश दूबे ने बताया कि कोरोना से पहले रोजाना (सोमवार से शुक्रवार तक) 1000 से 1500 रुपये का काम हो जाता था. इस दौरान वे अपने ऑटो में डेली 250 से 350 रुपये तक की सीएनजी गैस भी भरवाते थे. उन्होंने बताया कि उन दिनों कुल मिला-जुलाकर अच्छा काम हो जाता था. लेकिन, जब से कोरोना ने वापसी की है और सरकार ने पाबंदियां लगाई हैं, तभी से उनका काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. राजेश ने बताया कि अब एक दिन में मुश्किल से 400 से 500 रुपये तक का काम हो पा रहा है. इसके अलावा वीकेंड पर लगाए गए कर्फ्यू की वजह से शनिवार और रविवार के दिन तो मुश्किल से 100-200 रुपये का काम हो रहा है. राजेश ने बताया कि इस वक्त ऑटो की कमाई से परिवार चलाना काफी मुश्किल हो रहा है. इतना ही नहीं, काम न मिलने की वजह से ऑटो की किश्त के पैसों का प्रबंध करना भी मुश्किल हो रहा है.
बताते चलें कि कोरोना के मौजूदा हालातों को देखते हुए देश की सभी राज्य सरकारों ने जरूरतों के हिसाब से पाबंदियां लगा रखी हैं. हालांकि, इस बार राज्यों सरकारों ने लोगों की रोजी-रोटी का खयाल रखने की भरपूर कोशिश की है. लेकिन इसके बावजूद अलग-अलग काम-धंधे से जुड़े लोगों की आमदनी पर संकट आ खड़ा हुआ है.
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