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दिल्ली: देश में दिल्ली के नाबालिग सबसे ज्यादा अपराधों में हैं लिप्त
दिल्ली क्राइम रिपोर्ट: कहा जाता है, बचपन मासूम होता है और युवा देश का भविष्य तय करते हैं। नााबालिग के बचपन को सही हाथों में रखा जाए, तो वह युवा होकर देश का भविष्य तय कर सकता है। लेकिन यही बचपन अगर खराब हाथों में चला जाए तो देश और शहर की फिजा में जहर घोल सकता है। हाल में एनसीआरबी और दिल्ली पुलिस के क्राइम आंकड़ों में बढ़ती नाबालिगों की एंट्री ने ये सोचने पर मजबूर किया है कि मौजूदा समय में बचपन खतरे में है,जिसका खामियाजा शहर को भुगतना पड़ रहा है और अगर बचपन को सुधारा नहीं गया तो आने वाले समय में ये हालात और भी बिगड़ सकते हैं। इसी संबंध में गृह मंत्रालय और सरकारों ने कई पहल भी की हैं। दिल्ली पुलिस ने मौजूदा आंकड़ों से सबक लेते हुए नाबालिगों को अपराध से दूर रखने और उनके बचपन सहित युवावस्था को सुधारने के लिए कई योजनाओं पर काम शुरु कर दिया है। जल्द ही इस संबंध में कई कारगर नीतियां देखने को मिलेंगी। आप आंकड़ों को देखकर हैरान रह जाएंगे कि किस तरह से दिल्ली के अपराधों में बड़े पैमाने पर नाबालिगों ने एंट्री ली है और कैसे एक संगठित गैंग के रुप में अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। आखिर क्या है, पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की वह कारगर नीति, जिससे बचपन को गलत हाथों में जाने से बचाया जा सकता है। इसी पर फोकस है नवोदय टाइम्स के लिए संजीव यादव की
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत गत 5 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो नााबालिगों द्वारा राजधानी में किए गए अपराधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। मौजूदा समय में नाबालिग अपराध में इस कदर एंट्री कर चुके हैं कि इनके आगे मौजूदा गैंगस्टर और बदमाश भी पानी भरते नजर आते हैं। यही नहीं, मौजूदा समय में नाबालिग कांट्रेक्ट किलिंग सहित ड्रग्स तस्करी जैसे बड़े अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इसके अलावा, आपराधिक गिरोहोंं में इस तरह के किशोर काफी लोकप्रिय हैं और उनकी डिमांड भी है। यही कारण है कि नाबालिग-किशोर कई गैंगों के सक्रिय सदस्य भी हैं और बाकायदा अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। एनसीआरबी के रिकार्ड के मुताबिक 19 महानगरीय शहरों में दिल्ली में नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों की संख्या सबसे ज्यादा है। जहां पर 2,455 नाबालिगों ने अपराधों को अंजाम दिया। उसके बाद चेन्नई (773 मामले) और अहमदाबाद (483 मामले) के मामले हैं। हालांकि वर्ष 2021 के डाटा में नाबालिगों द्वारा किए गए अपराध में कुछ प्रतिशत गिरावट आई,लेकिन ये गिरावट उतनी नहीं थी जिससे दिल्ली पुलिस भी दावा कर सके कि नाबालिगों को सुधारा गया है। देश के आंकड़ों को देखें तो नाबालिगों द्वारा गत वर्ष 57 हत्याएं, 79 बलात्कार, 64 यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत, 87 महिलाओं पर उनकी शील भंग करने के इरादे से हमले, 77 हत्या के प्रयास, 33 गैर-इरादतन हत्या के प्रयास शामिल थे।
नाबालिगों द्वारा 22 अपहरण जैसे संगीन अपराधों में भूमिका पाई गई। राजधानी में ही नाबालिगों द्वारा किए जा रहे राजधानी में अपराध के आंकड़े प्रत्येक वर्ष बढ़ते जा रहे हैं। हाल के दिनों में नाबालिग पैसों के लिए हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, चोरी, लूट समेत कई अन्य घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। ये घटनाएं दिल्ली में अपराध जगत की बदली हुई तस्वीर दिखाती हैं। यहां नाबालिगों से ऐसे-ऐसे गुनाहों को अंजाम दिलवाया जा रहा है, जिसके बारे में हम और आप सोच भी नहीं सकते। दिल्ली में सालों से चल रहे गैंगवॉर में अब इन नाबालिगों को मोहरा बनाया जा रहा है। एक-दूसरे को खत्म करने के लिए ऐसे लड़कों के हाथ में हथियार थमाए जा रहे हैं, जिन्हें ये तक नहीं पता कि गुनाह को अंजाम देने के बाद उनका क्या होगा? पुलिस नाबालिग को पकड़ कर बाल सुधार गृह में सुधरने के लिए भेजती जरूर है, मगर नाबालिग वहां सुधरने के बजाय अपराध की दुनिया में आगे बढ़ते जा रहे हैं। नाबालिग संगठित अपराध की ओर भी बढ़ रहे हैं। नाबालिग परिजनों को गुमराह कर दोस्त से मिलने या पढ़ाई करने के नाम पर घर से निकलते हैं। इसके बाद आपराधिक घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर देते हैं।
बचपन में सही गाइडलाइन रोक सकती है क्राइम: कमिश्नर
पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने नाबालिगों की एंट्री पर कहा है कि आंकड़े भले ही चौंकाने वाले हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस के प्रयासों का नतीजा है कि पिछले पांच सालों के बाद वर्ष 2021 में नाबालिगों द्वारा अपराध कम किए गए हैं। ये आंकड़े जल्द ही और भी कम होंगे, क्योंकिे बचपन को अगर सही नेतृत्व मिलेगा और उसको समय पर शिक्षा, भोजन, कपड़े मिलेंगे तो अपराध की तरफ रुख नहीं करेगा। इसी पर दिल्ली पुलिस का विशेष फोकस है और इस पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस एनजीओ और सरकार के साथ मिलकर कई ऐसी योजनाओं पर काम करने जा रही है, जिसके तहत जो बच्चे अपराध में एंट्री कर गए थे, या किन्हीं कारणों से उन्होंने अपराध को अंजाम दिया है, तो उसका विशलेषण किया जा रहा है। जिसके बाद बच्चों को अन्य कामों के लिए मोटीवेट के साथ शिक्षा और मुख्य धारा में जोडऩे पर काम किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक ये कार्य तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक इसमें आम लोग खुद आगे नहीं आते हैं। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एनजीओ सहित लोगों से अपील की है कि वे अपने इलाकों में ऐसे बच्चों को चिन्हित करें और उनकी सूचना पुलिस को जरूर दें।
नाबालिगों द्वारा की गई कुछ बड़ी आपराधिक घटनाएं
1- द्वारका के नजफगढ़ क्षेत्र में एक नाबालिग ने बुजुर्ग को पीट-पीटकर मार डाला।
2- शराब नहीं पिलाई तो अपने नाबालिग ने अपने दोस्त की हत्या कर शव को ब्रीफकेस में डाला।
3- रोहिणी के बुद्ध विहार में चाकू मारकर युवक की हत्या, 2 नाबालिग पकड़े।
4- आपसी झगड़े में तीन नाबलिगों ने ईंट और पत्थरों से पीटकर शख्स की हत्या की।
5- कड़कडड़़ूमा कोर्ट परिसर में 4 नाबालिगों ने गोलियां चलाकर कांस्टेबल की हत्या की, एक कांस्टेबल और एक अपराधी घायल।
6- मदनगीर के बाजार में एक युवक सचिन को दौड़ा-दौड़ाकर चाकू मारकर हत्या। हत्यारों में 4 नाबालिग शामिल।
7- तीस हजारी कोर्ट के गेट नंबर-2 के बाहर जेल वैन में बिठाते ही एक नाबालिग ने गोगी गैंग के शार्प शूटर दिनेश माथुर (30) पर देसी तमंचे से गोली चला दी। लड़के को मौके से ही दबोचा।
8- रोहिणी सेक्टर-14 में टिल्लू गिरोह के रवि भारद्वाज को गैंगवार में गोलियों से भून दिया। दो नाबालिग इसमें भी शामिल।
9- नजफगढ़ में जनकराज (60) की गोली मारकर हत्या में खाती गैंग के बदमाशों के साथ नाबालिग भी शामिल।
10- अजय छोटू और राजू बाबा गैंग में सट्टेबाजी के बाजार पर कब्जे की जंग चल रही है। अब तक एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं। दोनों गैंग अपने दुश्मनों को रास्ते से हटाने के लिए नाबालिगों का सहारा ले रहे हैं।
11- राजधानी में पांच माह के दौरान पुलिस ने अवैध कारनामों के चलते 271 बच्चों को पकड़ा है और बाल सुधार गृह भेजा है।
12- राजधानी में हर 10वीं लूट, झपटमारी या चोरी की वारदातों में नाबालिगों की भूमिका।