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दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी के लिए इंटर्नशिप की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिका की खारिज

Admin Delhi 1
5 April 2022 5:18 PM GMT
दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी के लिए इंटर्नशिप की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिका की खारिज
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दिल्ली न्यूज़: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को डॉक्टरों के एक समूह द्वारा नीट-पीजी के लिए इंटर्नशिप पूरा करने की समय सीमा 31 जुलाई, 2022 से आगे बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इन डॉक्टरों की इंटर्नशिप में कोविड दायित्वों के कारण देरी हुई थी।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि 31 जुलाई, 2022 से आगे की समय सीमा बढ़ाने से पूरा शैक्षणिक कार्यक्रम बाधित होगा।

पीठ ने कहा, 'जब भी कट-ऑफ होती है तो कुछ छात्रों के विभाजन रेखा के दोनों ओर गिरने की संभावना होती है। कट-ऑफ के किसी भी विस्तार के परिणामस्वरूप शिक्षा कार्यक्रम में व्यवधान होगा।'' पीठ ने कहा कि कोविड ड्यूटी को समाहित करने के लिए वैकल्पिक प्रार्थना में पाठ्यक्रम को सूक्ष्म रूप से प्रबंधित करने के लिए अदालत भी शामिल होगी। न्यायालय ने कहा, 'हालांकि निस्संदेह ऐसा करने में कठिनाई होगी, इस स्तर पर छात्रों के एक बड़े वर्ग की शिक्षा को बाधित करना संभव नहीं होगा। इसलिए, हमारे विचार में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।'' सुनवाई की शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इंटर्नशिप को 31 जुलाई तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'परीक्षा मई में आयोजित होने वाली है और काउंसलिंग जुलाई के तीसरे और चौथे सप्ताह में होने वाली है। अगस्त के पहले या दूसरे सप्ताह से कक्षाएं शुरू होने की संभावना है। यदि इंटर्नशिप की समय सीमा 31 जुलाई से आगे बढ़ा दी जाती है, तो पूरा शैक्षणिक सत्र बाधित होना तय है।'' भाटी ने हालांकि कहा कि सामान्य समय के दौरान समय सीमा 31 मार्च है लेकिन महामारी की स्थिति को देखते हुए इस साल इसे बढ़ा दिया गया है।

पीठ ने विधि अधिकारी से सहमति व्यक्त की कि पूरा शैक्षणिक सत्र प्रभावित होगा और कहा, 'अगर हम याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हैं तो सब कुछ थम जाएगा और इसका व्यापक प्रभाव होगा।'' वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले इंटर्नशिप नहीं कर सकते थे क्योंकि वे पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपील किए जाने के बाद कोविड दायित्वों के निर्वहन में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि समस्या से निपटने का एक तरीका यह है कि कोविड ड्यूटी को इंटर्नशिप की अवधि के रूप में मान लिया जाए। भाटी ने इसका विरोध किया और कहा कि कोविड दायित्वों को इसके लिये स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें सभी विशिष्टताओं को शामिल नहीं किया गया है और इसे स्वीकार करना इंटर्नशिप कार्यक्रमों को कमजोर करने के बराबर होगा।

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