- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- दिल्ली: स्थायी समिति व...
दिल्ली: स्थायी समिति व सदन की बैठकें निगमों में होनी हुई बंद
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के तीनों उत्तरी, दक्षिणी व पूर्वी नगर निगम के चुनाव टलने के बाद निगमों में पार्षदों का कार्यकाल पूरा होने वाला है। नतीजतन अब निगम के विकास योजनाओं को अमलीजामा देने वाली स्थायी समिति तथा निगम सदन की बैठकें होनी बंंद हो गई है। अब निगमों में विधायी पक्ष की कोई बैठक नहीं होगी तथा सत्तारूढ़ दल द्वारा अब कोई नया निर्णय लेने की उम्मीद नहीं है। कारण यह है कि निगम एक्ट के तहत निगम व महापौर का कार्यकाल पूरा हो गया है। हालांकि 18 मई तक पार्षद अपने पद पर बने रह सकेंगे। दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा दो (67) के तहत एक अप्रैल को नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। नए वित्तीय वर्ष में महापौर के चुने जाने के बाद ही नए वित्तीय वर्ष संबंधित निर्णय विधायी पक्ष द्वारा लिया जाता है। नया महापौर जबतक चुन नहीं लिया जाता तबतक न तो सदन की बैठकें बुलाई जा सकती हैं और न ही स्थायी समिति की बैठक हो सकती है। निगम चुनाव न होने के कारण अब महापौर चुनने का सवाल ही नहीं उठता है दूसरा इसी महीने 18 अप्रैल तक निगमों के भंग होने की संभावना है। अगर जल्दी ही निगम भंग नहीं हुई तो संविधान के अनुसार 18 मई से पहले निगम में चुनाव कराने होंगे। इस वजह से केंद्र सरकार निगमों को एकीकरण की अधिसूचना जल्द ही जारी कर सकती है।
इधर तीनों निगम के एकीकरण संबंधित प्रस्ताव लोकसभा में पारित होने के बाद मंगलवार को राज्यसभा में प्रस्तुत होगा। राज्यसभा से इस प्रस्ताव को पाारित होते ही तीनों निगम एक करने संबंधित अधिसूचना लागू हो जाएगी, इसके बाद तीनों निगम भंग हो जाएगी। भंग निगम में कोई भी दल सत्ता में नहीं होगा और निगम की कमान पूरी तरह से नौकरशाहों के हाथों में चली जाएगी। हालांकि निगम को चलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की चर्चा है। इधर पार्षद पांच साल का कार्र्यकाल पूरा होने तक यानि कि 18 मई तक स्थायी समिति व सदन की बैठक के आयोजन करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अब कोई बैठक नहीं होगी। वर्तमान में निगमों के कार्य का सारा दामोदार अधिकारियों के ऊपर आ गया है। निगमों के एकीकरण के बाद ही अब निगम कोई भी नए फैसले लिए जाऐंगे।