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दिल्ली के स्कूलों ने जारी की एडवाइजरी, बच्चों को परेशान कर रहा HFMD, जानें इस संक्रामक रोग से बचने के उपाय

Renuka Sahu
11 Aug 2022 3:21 AM GMT
Delhi schools have issued advisory, HFMD is troubling children, know how to avoid this infectious disease
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फाइल फोटो 

देश की राजधानी दिल्ली में एक नई बीमारी ने दस्तक दिया है। यह बीमारी बच्चों को हो रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश की राजधानी दिल्ली में एक नई बीमारी ने दस्तक दिया है। यह बीमारी बच्चों को हो रही है। पिछले कुछ हफ्तों से यह देखा जा रहा है कि इस वायरल संक्रमण के कारण बच्चों के हाथ, पैर और मुंह में चकत्ते या छाले पड़ जा रहे हैं। यह बीमारी अमूमन 10 साल से कम उम्र के बच्चों को हो रही है। इस बीमारी को HFMD कहा जा रहा है जिसका मतलब hand, foot and mouth disease हुआ।

स्कूलों ने जारी की एडवाइजरी
दिल्ली के कई स्कूलों में HFMD से बचने के लिए कई जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। कई स्कूलों ने इस बीमारी के खिलाफ एडवाइजरी जारी किया है। बच्चों के माता-पिता को भी इस बीमारी के बारे में बताया जा रहा है।
HFMD के लक्षण
इस बीमारी में हाथों, पैरों और मुंह में छाले या चकत्ते पड़ जा रहे हैं। इस संक्रमण रोग के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। दिल्ली के संस्कृति पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ऋचा शर्मा अग्निहोत्री ने बताया कि स्कूल ने इस बीमारी को लेकर अपनी वेबसाइट पर अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी किया है। ऋचा शर्मा ने बताया कि हम अभिभावकों को यह बता रहे हैं कि अपने बच्चों को स्कूल भेजते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें।
बच्चे हो रहे शिकार
HFMD के कुछ केस पिछले हफ्ते जूनियर स्कूल से आए हैं। यह एक सामान्य बीमारी है लेकिन यह एक संक्रामक वायरल रोग है। यह बीमारी छोटे बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है। इस बीमारी से अमूमन नवजात बच्चों से लेकर 5 साल तक के बच्चे प्रभावित होते हैं। लेकिन गंभीर स्थिति में यह बीमारी इससे भी बड़े उम्र के लोगों को हो सकती है।
क्या बताया गया है एडवाइजरी में
अभिभावकों से यह कहा गया है कि अगर बच्चे में HFMD के लक्षण नजर आएं तो इसकी जानकारी तुरंत बच्चे के स्कूल के क्लास टीचर को दें। अभिभावकों से यह भी बताया गया है कि जब तक बच्चे का तबियत पूरी तरह से ठीक न हो जाए तब तक उस स्कूल न भेजें। एडवाइजरी में बताया गया है कि छाले या चकत्ते पड़ने की स्थिति में अभिभावकों को डॉक्टर से संपर्क करना है। डॉक्टर अगर संक्रमण की पुष्टि करता है तो बच्चे के ठीक होने के एक हफ्ते बाद उसे स्कूल भेजना है।
स्कूलों को किया जा रहा सैनिटाइज
द इंडियन स्कूल की प्रिंसिपल तानिया जोशी ने कहा कि हम अभिभावकों को बच्चों का ख्याल और देखरेख करने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही संक्रमण से बचने के लिए हम स्कूलों के क्लास रूम को दिन में दो बार सैनिटाइज भी कर रहे है।
अब तक कोई टीका नहीं
बाल रोग विशेषज्ञ और बीएल कपूर अस्पताल के प्रमुख सलाहकार आरके अलवधी ने कहा कि शहर में इस साल HFMD के सामान्य से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे को किसी तरह का रैशेज है तो उसे जल्द से जल्द आइसोलेट किया जाए। यह बीमारी छोटे बच्चों, प्रीस्कूल या शुरुआती स्कूल के बच्चों या 10 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। चूंकि यह एक वायरल संक्रमण है, इसलिए इसके खिलाफ कोई टीका नहीं है।
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