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दिल्ली: ओमेक्स लिमिटेड को लेकर विवाद में खुली तीन हजार करोड़ रुपये के घोटाले की पोल, जानिए पूरी कहानी
दिल्ली क्राइम न्यूज़: साल 2018 में रियल्टी कंपनी ओमेक्स लिमिटेड को लेकर गोयल बंधुओं की लड़ाई आधिकारिक रूप से शुरू हुई और सुनील गोयल ने अपने बड़े भाई रोहतास गोयल की शिकायत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से की। सुनील गोयल ने अपने भाई पर वित्तीय गडबड़ी करने का आरोप लगाया। दोनों भाइयों के बीच शुरू हुये विवाद ने रोहतास गोयल के द्वारा कथित रूप से अवैध तरीके से की गयी करोड़ों रुपये की लेनदेन का खुलासा किया। आयकर विभाग के अनुसार रोहतास गोयल ने करीब 3,000 करोड़ रुपये की अवैध लेनदेन की है। सिविल इंजीनियर से उद्यमी बने रोहतास की कंपनी ने साल 1987 में छोटे पैमाने पर ठेके का काम शुरू किया। दो साल के भीतर यह कंपनी ओमेक्स बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड बन गई और 1999 में यह एक 'लिमिटेड कंपनी' बन गई।
गोयल की अगुवाई में ओमेक्स लगातार रियल एस्टेट क्षेत्र में अपना विस्तार करती गई। वर्ष 2007 में ओमेक्स अपना प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लेकर आयी, जिसे 70 गुना अधिक अभिदान मिला। कंपनी ने जल्द ही आठ राज्यों के 27 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हरियाणा के हसनपुर जैसे छोटे शहर के इस युवक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा जब तक कि उसका अपना भाई ही उसके खिलाफ नहीं हो गया। पिछले साल जनवरी में एनसीएलटी की चंडीगढ़ बेंच ने ओमेक्स लिमिटेड के खिलाफ कंपनी और उसके प्रबंधन द्वारा उत्पीड़न और कुप्रबंधन के कथित कृत्यों को लेकर सुनील गोयल द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली थी। सुनील पहले इसी कंपनी में संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने अपने बड़े भाई एवं कंपनी के संस्थापक रोहतास के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी, पैसों की हेराफेरी, इनसाइडर ट्रेडिंग और कंपनी के टर्नओवर को लेकर झूठ बोलने के आरोप लगाये। सुनील ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कंपनी की कार्यकारी समिति की बैठक के मिनट्स के अनुसार जून 2017 में ओमेक्स ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से 250 करोड़ रुपये का ऋण लिया। सुनील का कहना है कि वह उस वक्त कार्यकारी समिति का हिस्सा थे, लेकिन उन्हें उस बैठक की कोई पूर्व सूचना नहीं मिली थी, जिसमें 250 करोड़ रुपये के ऋण लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें बार-बार ओमेक्स लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में 27 सितंबर 2017 तक नियुक्त किया जाता रहा। इसी तारीख को कंपनी की 28 वीं वार्षिक आम बैठक से उन्हें अवैध रूप से बाहर कर दिया गया था। इस बैेठक में सिर्फ गैर-प्रमोटर शेयरधारकों के लिये लाभांश की घोषणा और सीमा प्रसाद की ओमेक्स लिमिटेड के निदेशक के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव पारित किये गये थे। सुनील गोयल ने याचिका में दावा किया है कि रोहतास गोयल सहित प्रतिवादियों ने बल और धमकी से याचिकाकतार्ओं को वार्षिक आम बैठक में भाग लेने से अवैध रूप से रोका। इसके अलावा याचिकाकतार्ओं को कंपनी के मामलों से बाहर करने में भी रोहतास शामिल था ताकि याचिकाकतार्ओं को वित्तीय रूप से अक्षम करने के लिये कंपनी और उसकी सभी सहायक कंपनियों पर नियंत्रण हासिल किया जा सके । याचिका में कहा गया है कि इस तरह के वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी लेनदेन के कारण कंपनी पर ऋण का बोझ बढ़ गया है और लाभ में कमी आयी। याचिकाकतार्ओं ने इसे लेकर कई पत्र लिखे लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
मुख्य रूप से कंपनी में प्रमोटर और प्रमोटर समूह की हिस्सेदारी गिल्ड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से है, जिसके पास ओमेक्स लिमिटेड के लगभग 68.45 प्रतिशत शेयर हैं और यह ओमेक्स लिमिटेड की होल्डिंग कंपनी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के बयान के अनुसार ओमेक्स का अवैध वित्तीय लेनदेन का तरीका यह था कि वह अपने ग्राहकों से मौके पर ही बेहिसाब नकदी लेती थी। ऐसा करने से उसे उस राशि की प्राप्ति जारी नहीं करनी पड़ती थी और इसी कारण वह हिसाब किसी खाते में दर्ज नहीं होता था।आईटी विभाग के अनुसार कंपनी ने इस तरीके से अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक धन एकत्रित किया है। गत माह ओमेक्स के दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, इंदौर सहित 45 परिसरों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस अभियान में करोड़ों रुपये नगद और पांच करोड़ रुपये के आभूषण जब्त कि ये गये थे। इसके अलावा कई लॉकरों का भी पता चला था, जिनमें से 11 लॉकर फ्रिज कर दिये गये हैं।