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दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया : 'निरीक्षण समिति ने पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख को बरी नहीं किया'

Rani Sahu
16 Sep 2023 3:15 PM GMT
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया : निरीक्षण समिति ने पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख को बरी नहीं किया
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नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज कथित यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली पुलिस ने शनिवार को यहां की एक अदालत को बताया कि आरोपों की जांच के लिए गठित निगरानी समिति ने उन्हें बरी नहीं किया है।
शनिवार को सिंह और डब्ल्यूएफआई के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर दोनों अदालत में मौजूद थे।
पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल के समक्ष यह दलील दी।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया, “निगरानी समिति ने सिंह को बरी नहीं किया है। कमेटी ने सिफारिशें दी थीं, फैसला नहीं। कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि ये आरोप प्रमाणित नहीं हैं या झूठे हैं।”
उन्होंने अदालत से सिंह के खिलाफ आरोप तय करने का भी आग्रह किया, जिसमें कहा गया कि महज इशारा भी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत अपराध हो सकता है। पिछली सुनवाई के दौरान भी शिकायतकर्ता महिला पहलवानों ने कहा था कि उन्होंने उन पर जो आरोप लगाए हैं, उन पर आरोप तय होना जरूरी है।
अदालत मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को करेेेगी।
महिला पहलवानों के वकील ने 1 सितंबर को तर्क दिया था कि सिंह और तोमर को निरीक्षण समिति ने कभी भी बरी नहीं किया है, साथ ही यह भी कहा कि पैनल - जिसकी अध्यक्षता शीर्ष मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉमकर रही थीं, भावनाओं को शांत करने के लिए महज दिखावा थी।
पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था : "एफआईआर में लगाए गए आरोप, जो आरोपपत्र में परिणत हुए, जिस पर आपके माननीय ने संज्ञान लिया है, ऐसी प्रकृति के हैं जिससे आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करना जरूरी हो जाता है।"
उन्होंने यह भी दावा किया था कि निरीक्षण समिति का गठन यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम के नियमों के अनुसार नहीं किया गया था।
उन्‍होंने तर्क दिया था, “समिति की रिपोर्ट को खारिज करने की जरूरत है। यह भावनाओं को शांत करने के लिए एक दिखावा था।''
जैसे ही शिकायतकर्ताओं ने अपनी दलीलें पूरी कीं और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को रिकॉर्ड पर रखा, यह दावा किया गया कि समिति ने मामले में बिना किसी निष्कर्ष के केवल सामान्य सिफारिशें की हैं।
दिल्ली पुलिस ने 11 अगस्त को एसीएमएम जसपाल की अदालत को बताया था कि भाजपा सांसद बृजभूषण के खिलाफ मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत हैं और सह-आरोपी तोमर के खिलाफ भी मामला स्पष्ट है।
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