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नई दिल्ली : दुनिया तेजी के साथ डिजिटल हो रही है ऐसे में दिल्ली पुलिस भी डिजिटलाइजेशन के इस दौर में पोडकास्ट के माध्यम से दिल्ली की जनता तक अपनी बात पहुंचा रही है. 'किस्सा खाकी का' शीर्षक से अपने पॉडकास्ट के माध्यम से दिल्ली पुलिस अपराधों, जांच और मानवता आदि की अनसुनी कहानियों के माध्यम से जनता के साथ संवाद स्थापित कर रही है.
किस्सा खाकी का अगला पॉडकास्ट रविवार 24 जुलाई को दोपहर दो बजे दिल्ली पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल पर डिजिटल रूप से प्रसारित किया गया है. पॉडकास्ट का शीर्षक है "बूढ़ी आंखों की उम्मीद". पॉडकास्ट में सुनाया गया है कि अपने परिवार से दूर अकेले रह रहे बुजुर्ग, जिन्हें आशा है अपनों के लौटने की. दिल्ली पुलिस कैसे बन गई है इन बूढ़ी आंखों की उम्मीद? पॉडकास्ट को प्रसिद्ध मीडिया शिक्षिका वर्तिका नंदा द्वारा सुनाया गया है, जो अपने रेडियो कार्यक्रम की पहल के माध्यम से जेल सुधारों पर भी काम कर रही हैं.
• बीट ऑफीसर हेड कांस्टेबल सत्यवीर निर्मला से मिलने पहुंचे हैं. निर्मला की उम्र करीब 90 साल है. एक सरकारी स्कूल से टीचर के तौर पर रिटायर हुई. अब अकेली रहती हैं. इस दुनिया में निर्मला के केवल दो रिश्तेदार हैं. एक लंदन में रहता है और दूसरा गुड़गांव में. कोरोना की दौर में रिश्तेदारों से बात नहीं हो पाई. ऐसे बहुत से बुजुर्ग इन इलाकों में अकेले रहते हैं. अकेले दक्षिण पश्चिमी जिला में 3340 बुजुर्ग रजिस्टर्ड है. इनमें से 1075 बुजुर्ग अकेले रहते हैं. इनके अकेलेपन को समझते हुए दिल्ली पुलिस की दक्षिणी पश्चिमी जिले की पुलिस उपायुक्त मनोज सी ने एक नई पहल शुरू की.• पहल के तहत हर दिन 120 ऑफिसर अपनी बीट में रह रहे कम से कम पांच सीनियर सिटीजन को मिलने पहुंचते हैं. फोन या वीडियो कॉल के जरिए सीनियर सिटीजन की बातचीत उनके बच्चों से करवाते हैं. ताकि उनकी जिंदगी से उदासी का भाव कम हो सके. यह मौसम बेहद भावनात्मक होते हैं. बुजुर्गों को बेहद अच्छा लगता है अपने परिवार से फिर से जुड़ना और व्यस्त हो चुके बच्चों के लिए भी अपने बुजुर्गों को देखना उनके अंदर एक नई रोमांच को पैदा करता है.• दक्षिणी पश्चिमी जिले में इन दिनों वसंत कुंज, वसंत विहार, सफदरजंग एनक्लेव, सत्य निकेतन. ऐसे तमाम इलाकों में दिल्ली पुलिस वरिष्ठ नागरिकों के आवासीय परिसर का सुरक्षा ऑडिट कर रही है. बुजुर्ग लोगों के घर में कैमरा और सुरक्षा अलार्म हो इसके लिए भी पुलिस पुख्ता इंतजाम कर रही है. सुरक्षा में सुधार के लिए पुलिस इन वरिष्ठ नागरिकों को दरवाजे की जंजीर, लोहे की चैन और सुरक्षा ताले जैसे सुरक्षा उपकरण लगाने की सलाह भी देती है.• शाम होते ही पुलिस के अधिकारी इन बुजुगों के पास अधिकारी जब समय गुजारते हैं तो बुजुर्ग भी इस समय की बहुत अहमियत समझते हैं. वे जानते हैं कि व्यस्तता के बीच में समय निकालना और उन्हें परिवारों से जोड़ना कोई आसान काम नहीं है. इस तरह से दिल्ली पुलिस रिश्तो को मजबूत करने का काम कर रही है.डॉ. वर्तिका नन्दा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं. इस पॉडकास्ट का प्रसारण प्रत्येक रविवार, दोपहर दो बजे किया जाता है. इसे दिल्ली पुलिस के ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सुन सकते हैं. दिल्ली पुलिस का प्रयास है कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के साथ संवाद को बढ़ाया जाए, जिससे नागरिकों और पुलिस के बीच उत्कृष्ट जनसंपर्क को विकसित किया जा सके.