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दिल्ली: पुलिस ने हाईटेक ठगों के एक गैंग का किया पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार

Admin Delhi 1
31 March 2022 4:51 PM GMT
दिल्ली: पुलिस ने हाईटेक ठगों के एक गैंग का किया पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार
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दिल्ली न्यूज़: राष्ट्रीय बैंकों और देशभर के बड़े ऑटो मोबाइल डीलरों के साथ ठगी करने वाले हाईटेक ठगों के एक गैंग का पर्दाफाश करते हुए उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में मनोज कुमार उर्फ मोनू, पंकज कुमार व दीपक कुमार है। पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन, दो अकाउंट और एक फर्जी आधार कार्ड बरामद किया है। पुलिस को मामले में इनके अन्य लोगों की तलाश है। पुलिस इनकी तलाश में छापेमारी कर रही है। पुलिस पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है। उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि यह आरोपी देशभर के बड़े ऑटो मोबाइल डीलर (कार, ट्रक, बस व दूसरे वाहन के विक्रेता) को बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों के नाम से ईमेल भेजते थे। आरोपी कुछ वाहनों को खरीदने की इच्छा जाहिर करते थे। उसके बदले वाहनों की डिटेल के साथ पीडि़तों के खाते की डिटेल भी मांगी जाती थी। इनके खाते की जानकारी मिलते ही आरोपियों को पता चल जाता था कि किन बैंक में पीडि़़तों के खाते हैं। उसके फर्जी आधार कार्ड की मदद से लिये गए सिमकार्ड के नंबरों को ट्रू-कॉलर पर पीडि़तों के नाम से सेव करवा दिया जाता था। बाद में बैंक को पीडि़तों के फर्जी लेटर हेड से उनकी ईमेल से मिलती-जुलती मेल से ईमेल किया जाता था। इसके बाद ट्र-कॉलर पर सेव नंबरों से बैंक अधिकारियों को कॉल कर दिए गए खातों में तुरंत रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता था। बैंक अधिकारी इनके झांसे में आकर इनके बताए गए खातों में रुपये ट्रांसफर कर देते थे।

सैकड़ों सिमकार्ड जारी करा, उसके आधार पर देते थे ठगी की वारदात को अंजाम: जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि फर्जी आधार कार्ड के जरिये इन लोगों ने सैकड़ों सिमकार्ड जारी करवाएं हैं। उसके आधार पर आरोपियों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया। इसमें मनोज उर्फ मोनू, पंकज, दीपक अग्रवाल, विनय कुमार यादव उर्फ बबलू, हिमांशु पाल उर्फ हेमू और अनुज कुमार उर्फ राजेश कसाना व अन्य लोग शामिल हैं। अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर पुलिस की टीम ने बुधवार को मनोज उर्फ मोनू, पंकज और दीपक अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया। एसआई रोहित सारसवत, रंजीत सिंह व अन्यों की टीम ने जांच शुरू की। जांच के दौरान उन खातों का पता लगाया गया, जिनमें रकम को ट्रांसफर किया गया था। इससे पता चला कि रकम दिल्ली से यूपी, बिहार होते हुए अलग-अलग खातों के बाद एटीएम से निकाल ली गई। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी की जांच की।

मथुरा, दिल्ली, कोलकाता और तेलंगाना में कर चुके हैं ठगी: पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पता चलेगा कि इन लोगों ने अब तक कितने लोगों को चूना लगाया है। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि यह लोग एक विशेष एप के जरिये फर्जी आधार कार्ड बनवाकर सिम जारी करवा लेते थे। फिलहाल इन लोगों ने करीब 100 से अधिक सिमकार्ड इश्यू करवाए हुए थे। इनकी मदद से दिल्ली में इन लोगों ने 11.52 लाख, मथुरा में 24.72 लाख, कोलकाता में 25 लाख और तेलंगाना में 35 लाख की ठगी कर चुके हैं।

गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल से मिली थी शिकायत: टीम को गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल से एक शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता नरेंद्र सिंह ने बताया कि वह दिल्ली में एक बड़ी ऑटो मोबाइल कंपनी के डीलर है। पिछले दिनों उसके पास एक नामी कंपनी से ईमेल आया था। कंपनी ने नरेंद्र से एक बस खरीदने के लिए इच्छा जताई थी। इसके बाद नरेंद्र से बस खरीदने के लिए कुछ जानकारी मांगी थी। नरेंद्र ने अपने खाते ही जानकारी अपनी कंपनी के लेटरहेड और खाते ही जानकारी के लिए एक कैेंसिल चेक ऑन लाइन उपलब्ध करा दिया। इसके कुछ ही दिनों बाद उसके बैंक खाते से 11.52 लाख रुपये ठग लिये गए। जांच में पता चला कि आरोपियों ने नरेंद्र का फर्जी लेटरहेड बनाकर बैंक को एक खाते में पेमेंट करने के लिए भेजा था। इसके लिए नरेंद्र की ही मेल आईडी से बिल्कुल मिलती-जुलती ईमेल आईडी बनाई गई। बाद में ट्रू-कॉलर पर नरेंद्र के ही नाम से सेव किए गए नंबर से बैंक अधिकारियों को कॉल की गई। इन सब की वजह से बैंक अधिकारी भी चकमा खा गए और उन्होंने लेटरहेट और कॉल के आधार पर रकम आरोपियों के खाते में ट्रांसफर कर दी।

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