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दिल्ली-NCR की जहरीली हवा लोगों को कर रही हैं बीमार, GRAP से भी कोई राहत नहीं
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण लोगों को बीमार कर रहा है। लोग साफ औऱ स्वच्छ हवा लेने को तरस रहे हैं। दूर तक फैला धुंए और धूल का गुबार टेंशन दे रहा है। सरकार और प्रशासन ने पलूशन के खिलाफ ग्रैप जैसे नियम लागू करके सीधा लोहा लेने की कोशिश की है लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रही है। बदतर होते हालात को देखते हुए दिल्ली की सभी प्राइमरी स्कूलों को 8 नवंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। दिल्ली में आधे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है। शनिवार को CPCB की ओर से जारी डेटा के अनुसार, दिल्ली के आनंद विहार में सुबह 6 बजे AQI 413 पर रहा। वहीं एनसीआर की बात करें तो नोएडा में 529, गुरुग्राम में 384, फरीदाबाद में 437 AQI रहा।
बाहर ही नहीं अंदर भी घुट रहा दम:
राजधानी दिल्ली में लोगों का बाहर के अलावा अंदर भी इन जहरीली हवा के कारण दम घुट रहा है। सिरदर्द, चक्कर, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, आंखों से पानी आने जैसी समस्याएं हो रही हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह प्रदूषण से बचने के लिए क्या उपाय करें। आईआईटीएम के अनुसार 5 नवंबर को हवाओं की गति बढ़ सकती है। इसकी वजह से स्थिति में कुछ सुधार होगा। प्रदूषण गंभीर के स्तर से बेहद खराब स्तर पर रह सकता है। इसके बाद 6 और 7 नवंबर को स्थिति में और सुधार होगा और यह बेहद खराब स्तर पर ही रहेगा। इसके बाद अगले 6 दिनों तक प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब स्तर पर रह सकती है। वहीं, सफर के अनुसार पराली के धुएं और अन्य वजहों से राजधानी में प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। प्रदूषण के स्तर में अब सुधार होगा। जमीनी सतह पर हवाएं तेज चलेंगी। ऐसे में 5 और 6 नवंबर को प्रदूषण गंभीर से बेहद खराब स्तर पर आ सकता है।
GRAP नहीं दे पा रहा राहत: लगातार दूसरे दिन दिल्ली सांसों के लिए तरसती रही। वहीं दूसरी तरफ सीएक्यूएम के निर्देशों के बावजूद ग्रैप-4 के नियमों का पालन शुक्रवार को नहीं हो सका। अब शनिवार और रविवार को ज्यादातर विभागों व स्कूलों में छुट्टी रहेंगी। इस बीच, रविवार से प्रदूषण कम होने की संभावना भी है। यानी घुटती दिल्ली में सरकारें और संस्थाएं इस बार भी लोगों को राहत देने में नाकाम रहीं।
क्यों घुट रहा है दिल्लीवालों का दम?
1. प्रदूषण के पूर्वानुमान हुए फेल:
ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इस बार पूर्वानुमान के आधार पर ग्रैप के विभिन्न चरणों को लागू करने का फैसला लिया गया, ताकि हेल्थ इमरजेंसी की नौबत ना आए। लेकिन, पूर्वानुमान ही फेल रहे। बीते गुरुवार को सुबह एक्यूआई का स्तर तेजी से बढ़ते हुए इमरजेंसी लेवल पर पहुंच गया। जबकि इससे पूर्व मौसम विभाग ने इसका कोई पूर्वानुमान जारी नहीं किया था। इसकी वजह से ग्रैप को मेडिकल इमरजेंसी स्तर पर पहुंचने के कुछ घंटे बाद लागू करना पड़ा। इस सीजन में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। ग्रैप के पहले स्टेज को भी अचानक लागू करना पड़ा। दशहरे वाले दिन बिना पूर्वानुमान के अचानक प्रदूषण का स्तर खराब स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में पहला स्टेज भी खराब प्रदूषण होने के कुछ घंटों के बाद लागू हुआ।
2. ग्रैप लागू, पालन में लग रहा समय:
जब ग्रैप-2017 में पहली बार लागू किया गया उस समय कहा गया था कि एजेंसियों को इसकी जानकारी रहती है। ऐसे में प्रदूषण की स्थिति बढ़ते ही एजेंसियों को आदेशों का इंतजार किए बिना यह कदम उठाने होंगे, ताकि लोगों को जल्द से जल्द राहत मिल सके। लेकिन रिवाइज ग्रैप के बावजूद इस बार जो स्थितियां दिख रही हैं, वे इसे उलट हैं। सीएक्यूएम की तरफ से निर्देश जारी होने के बाद राज्य सरकार इसके चरणों को लागू करने की तैयारियां करती हैं। इसके बाद विभागीय निर्देश जारी होते हैं और फिर उस पर अमल होता है। इस सब में दो से तीन दिन का समय लग रहा है।
3. राहत के कदम सोमवार से लागू होंगे:
राजधानी को मेडिकल इमरजेंसी झेलते हुए दो दिन हो गए हैं। लोगों को ठीक से सांसें नहीं आ रही हैं। इस बीच ग्रैप लागू होने के बावजूद इसके कुछ चरणों का काम सोमवार से अमल में लाया जाएगा। जबकि रविवार को ग्रैप-4 के लिए सीएक्यूएम की मीटिंग होगी। इस बीच 5 नवंबर तक स्थिति में सुधार की संभावना है। ऐसा होता है तो ग्रैप-4 को हटाने के आदेश जारी किए जा सकते हैं। ऐसे में उन कदमों को सोमवार से उठाने की जरूरत ही नहीं रहेगी। इसमें वर्क फ्रॉम होम, बसों व मेट्रो की सर्विस बढ़ाना, कमर्शल गुड्स ट्रकों की दिल्ली में एंट्री रोकना और बीएस-4 की डीजल कारों को सड़कों पर आने से रोकना शामिल हैं।
दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर रोक, आधे कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम:
दिल्ली में अब दूसरे राज्यों से आने वाले सिर्फ उन्हीं ट्रकों को एंट्री मिलेगी, जो आवश्यक सेवाओं से जुड़े होंगे और दूध, सब्जी, अंडे, ब्रेड, अनाज, दवाइयां जैसे रोजमर्रा के जरूरी सामान ला रहे होंगे। आवश्यक सेवाओं के अलावा सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को ही एंट्री मिलेगी। दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने यह आदेश लागू किया है।
सरकार का ऐलान:
दिल्ली में रजिस्टर्ड डीजल से चलने वाले मीडियम और हैवी गुड्स वीकल्स पर भी यह बैन प्रभावी होगा और केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़ी गाड़ियों के चलने की अनुमति होगी। वहीं, पेट्रोल से चलने वाली बीएस-3 और डीजल से चलने वाली बीएस-4 कैटिगरी की कारें भी अब लोग सड़कों पर नहीं निकाल सकेंगे। बीएस-6 से नीचे की कैटिगरी के डीजल से चलने वाले अन्य वाहन भी प्रतिबंधित होंगे। इन प्रतिबंधों की मॉनिटरिंग के लिए स्पेशल कमिश्नर (ट्रांसपोर्ट) के नेतृत्व में 6 सदस्यीय कमिटी बनाई गई है जिसमें परिवहन विभाग, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और डीपीसीसी के दो-दो सदस्य होंगे। यह कमिटी सुनिश्चित करेगी कि इन प्रतिबंधों का सख्ती से पालन हो। हरियाणा और यूपी के सीएम को पत्र लिखकर यह अनुरोध भी किया जाएगा कि जो वाहन आवश्यक सेवाओं से नहीं जुड़े हैं, उन्हें दिल्ली के बॉर्डर्स तक ना आने दें और उन्हें पहले ही ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे पर डायवर्ट करने की व्यवस्था करें।
मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अगले आदेश तक अब दिल्ली सरकार के सभी कार्यालय 50 प्रतिशत क्षमता से खुलेंगे और सरकारी दफ्तरों के 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे। प्राइवेट दफ्तरों को भी इस पर अमल करने के लिए एडवाइजरी जारी की जा रही है। दिल्ली सरकार जल्द ही पर्यावरण बस सेवा के तहत 500 बसें भी चलाएगी।