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दिल्ली एनसीआर: नोएडा चाइल्ड पीजीआई में होगा बच्चों का मुफ्त इलाज, तिरछे पैरों को ठीक किया जायेगा

Admin Delhi 1
23 March 2022 8:03 AM GMT
दिल्ली एनसीआर: नोएडा चाइल्ड पीजीआई में होगा बच्चों का मुफ्त इलाज, तिरछे पैरों को ठीक किया जायेगा
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दिल्ली एनसीआर मेडिकल न्यूज़: दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में टेढ़े पैर वाले बच्चों का इलाज निशुल्क होगा। अस्पताल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना के तहत बच्चों के तिरछे पैरों को ठीक किया जाएगा, ताकि वह दौड़ सके। निदेशक डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि यह एक ऐसा रोग है, जिसमें जन्म से ही बच्चे के पैरों में टेढ़ापन रहता है। इसका इलाज दो तरीके से होता है। इनमें प्लास्टर व सर्जरी शामिल है। बच्चों में प्लास्टर के जरिये इसका इलाज संभव है। वहीं अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकुर अग्रवाल ने बताया कि माता के गर्भ में ही कुछ बच्चों के पैर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। जन्म के बाद इस बीमारी को सामान्य बोलचाल में जन्मजात दोष और क्लब फुट कहते हैं। चाइल्ड पीजीआइ की इमरजेंसी वार्ड के ट्रायज में चार बेड बढ़ाए गए हैं। इससे अब कुल बेडों की संख्या 10 पहुंच गई है। वहीं पीडियाट्रिक आइसीयू में भी चार बेड बढ़ाए हैं। इससे पीआइसीयू के बेडों की कुल संख्या 20 पहुंच गई है।

हीमोफीलिया के मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी शुरू: सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में हीमोफीलिया के मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी की सुविधा शुरू हो गई है। कल (मंगलवार) को अस्पताल में स्थापित डीमोफीलिया डे केयर सेंटर का जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने फीता काटकर उद्घाटन किया। साथ ही निरीक्षण कर अस्पताल में व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि हीमोफीलिया के मरीजों को जरूरी फैक्टर लगाए जाते हैं। अब उन्हें फिजियोथेरेपी की सुविधा मिलेगी। फिजियोथेरेपी से मरीज के ज्वाइंट डैमेज को कम किया जा सकता है। हीमेटोलाजी आन्कोलाजी विभाग की एचओडी डॉ. नीता राधाकृष्णन ने बताया कि चोट लगने पर हीमोफीलिया के मरीजों को इंटरनल ब्लीडिंग होती है। ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए फैक्टर चढ़ाया जाता है। इससे ब्लीडिंग को रोक दिया जाता है, लेकिन इस ब्लीडिंग के कारण मरीजों को काफी दर्द होता है। जिससे कि वे दर्द में न कोई दवा ले सकते हैं और न कोई इंजेक्शन। ऐसे में फिजियोथेरेपी की मदद से उनका दर्द दूर होगा। अबतक यह सुविधा जिले में नहीं थी, लेकिन अब ब्लड डिसऑर्डर से पीडि़त बच्चों को कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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