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दिल्ली-एनसीआर
दिल्ली मेट्रो को हुए 20 साल, देश में पहली बार तैयार सिग्नलिंग सिस्टम पर दौड़ेगी ट्रेन
Renuka Sahu
25 Dec 2021 3:46 AM GMT
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फाइल फोटो
दिल्ली में 25 दिसंबर 2002 को पहली बार जनता के लिए अपना परिचालन शुरू करने वाली मेट्रो ने जवां होने के साथ खुद को अपग्रेड करना भी सीख लिया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली में 25 दिसंबर 2002 को पहली बार जनता के लिए अपना परिचालन शुरू करने वाली मेट्रो ने जवां होने के साथ खुद को अपग्रेड करना भी सीख लिया है। 18वें साल में बिना चालक वाली मेट्रो में सफर की शुरुआत करने के बाद अब दिल्ली मेट्रो अपने परिचालन के दूसरे दशक यानि 20वें साल में खुद को फिर अपग्रेड करने जा रही है। बेरोकटोक सफर के लिए कैशलेस टिकटिंग के साथ वर्चुअल सिग्नलिंग पर परिचालन शुरू हो रहा है। साथ ही परिचालन के 20वें साल में मेट्रो में भारतीय तकनीक पर तैयार सिग्नलिंग पर पहली बार परिचालन किया जा रहा है।
टोकन, स्मार्ट कार्ड की जरूरत खत्म होगी
मेट्रो परिचालन के 20वें साल में दिल्लीवालों ही नहीं बल्कि देश के किसी भी हिस्से से आने वाले यात्रियों को मेट्रो में सफर करने के लिए स्मार्ट कार्ड या टोकन न तो खरीदने की जरूरत होगी न ही उसे रिचार्ज कराने की। यात्री वन नेशन वन कार्ड के तहत कैशलेस सफर का आनंद उठा सकेगा। इसके लिए उन्हें बैंक के डेबिट या क्रेडिट कार्ड के अलावा मोबाइल की ही जरूरत होगी।
दिल्ली मेट्रो प्रबंधक निदेशक मंगू सिंह के मुताबिक हमने इस पर ज्यादातर काम पूरा कर लिया है। अगले एक साल के अंदर सभी मेट्रो लाइन पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड योजना को लागू कर दिया जाएगा। उसके बाद दूसरे राज्य के मेट्रो स्मार्ट कार्ड से भी दिल्ली में सफर किया जा सकेगा।
वर्चुअल सिग्नलिंग में खराबी के बाद भी कम नहीं होगी रफ्तार
दिल्ली मेट्रो में सिग्नलिंग में तकनीकी खराबी से सबसे अधिक असर उसके परिचालन पर पड़ता है। अब मेट्रो ने उसका भी हल निकाल लिया है। मेट्रो ने वर्चुअल सिग्नलिंग का प्रयोग शुरू किया है। पहले चरण में ब्लू लाइन पर इसकी शुरुआत की गई है, जिससे किसी एक सेक्शन में खराबी होने के बाद वर्चुअल सिग्नलिंग से मेट्रो की रफ्तार पर असर नहीं पड़ेगा। यानि बाकी लाइन पर मेट्रो का परिचालन सामान्य किया जा सकेगा। इसे अब येलो लाइन (समयपुर बादली से गुरुग्राम), रेड लाइन (दिलशाद गार्डन से रिठाला) और वायलेट लाइन (कश्मीरी गेट से फरीदाबाद) समेत अन्य लाइन पर लागू किया जाएगा।
स्वदेशी सिग्नलिंग सिस्टम का प्रयोग
मेट्रो परिचालन के 20वें साल में पहली बार दिल्ली मेट्रो भारत में तैयार सिग्नलिंग सिस्टम (भारतीय-स्वचालित ट्रेन निगरानी) पर दौड़ी है। परिचालन के 20वें साल पर शुक्रवार को केंद्रीय शहरी विकास सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और मेट्रो प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने इसकी शुरुआत की। यह ट्रायल मेट्रो की सबसे पहले परिचालन वाली रेड लाइन (रिठाला से दिलशाद गार्डन) पर किया गया है।
अभी दिल्ली मेट्रो का सिग्नलिंग सिस्टम विदेशी कंपनियों की ओर से तैयार किया गया था। दिल्ली मेट्रो ने बीईएल (भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड) के साथ मिलकर यह तकनीक तैयार की है। लंबे ट्रायल के बाद अब इसका पहली बार रेड लाइन पर परिचालन के 20वें साल से प्रयोग शुरू हुआ है।
कोविड में पहली बार छह माह तक थमी रफ्तार
मेट्रो परिचालन के 20वें साल में पहुंचने से पहले कई बार मेट्रो की रफ्तार पर तकनीकी खामियों के चलते ब्रेक लगा पर यह कुछ मिनट के लिए था। मगर, कोविड महामारी के चलते परिचालन के पहले दिन के बाद पहली बार 2020 में मेट्रो का परिचालन करीब छह माह तक बंद रहा। मेट्रो प्रबंध निदेशक मंगू सिंह कहते हैं कि 20 साल के इतिहास में यह सबसे चुनौती भरे दिनों में से थे। क्योंकि कोविड में मेट्रो तो जनता के लिए बंद थी मगर उसका रखरखाव, सारी व्यवस्था को चालू रखना था। इसलिए हम इसे इन 20 सालों की बड़ी चुनौतियों में मान सकते हैं।
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