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दिल्ली: मानसिक रूप से परेशान हो चुके शख्स ने अपने दोनों सालों और पत्नी की हत्या की

Admin Delhi 1
7 March 2022 2:12 PM GMT
दिल्ली: मानसिक रूप से परेशान हो चुके शख्स ने अपने दोनों सालों और पत्नी की हत्या की
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दिल्ली क्राइम न्यूज़: बार बार मायके वालों को घर बुलाकर पारिवारिक कलह में हस्तक्षेप करने से कई बार युवक भी मानसिक रूप से परेशान हो जाता वह अपनी पत्नी से भी इस बारे में बात कर मायके वालों को नहीं बुलाने की बात करता लेकिन ऐसा नहीं होने पर झगड़ा काफी बढ़ जाता है। जो कई बार थाने से लेकर हत्या तक पहुंचा जाता है। ऐसा ही बीती रात नेताजी सुभाष पैलेस इलाके में हुआ, जब हितेन्द्र यादव उर्फ राजू नामक युवक ने अपनी दोनों सालों,पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी और एक मृतक साले की पत्नी के पैर में गोली मारने के बाद खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। हितेन्द्र के परिवार और रिश्तेदारों व दोस्तों की मानें तो हितेन्द्र अपने ससुराल वालों से काफी परेशान हो चुका था। पत्नी सीमा सेे जब भी झगड़ा होता था। सीमा हर बार अपने भाईयों व मां को बुला लिया करती थी। हितेन्द्र को यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती थी। हर बार उसके साले उसकी बेइज्जती करने के बाद चले जाते थे। हितेन्द्र कुछ नहीं कर पाता था। क्योंकि उस समय वह अकेला पड़ जाता था।

बताया गया कि दोपहर में हितेन्द्र और सीमा के बीच पुराने मामलों को लेकर झगड़ा हुआ था। सीमा ने अपने भाईयों विजय और सुरेन्द्र को मामले की जानकारी दी थी। विजय गुडग़ांव जबकि सुरेन्द्र डाबड़ी स्थित विनोदपुरी विजय एंक्लेव इलाके में अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते थे। दोनों अपनी अपनी कारों से रात करीब साढ़े दस बजे हितेन्द्र के घर शकूरपुर गांव एम ब्लॉक में पहुंचे थे। जिनको देखकर हितेन्द्र काफी चिड़चिड़ा गया था। उनको देखकर उसने सीमा से उनके यहां पर बुलाने का कारण पूछा था। जिसमें सीमा ने उनको झगड़ा सुलटाने के बारे में आने की बात बताई थी। दोनों के साथ सीमा की मां कृष्णा और सुरेन्द्र की पत्नी बबीता और बबीता का भाई चन्द्रभान उर्फ चमन भी आया था।

हितेन्द्र के जानकारों ने बताया वारदात के वक्त कमरे में हितेन्द्र का करीबी दोस्त ललित जिसको हितेन्द्र अपने भाई की तरह मानता है। वह भी मौके पर मौजूद था। ललित कई बार हितेन्द्र और सीमा को झगड़ा करने पर समझा चुका था। उसके अलावा हितेन्द्र के दोनों बेटे प्रथम और जय भी मौजूद थे। जबकि दोनों सालों के बच्चे अपनी अपनी कारों में बैठे हुए थे। जब झगड़े को लेकर ज्यादा कहासूनी हो गई। ललित ने जब बोलने की कोशिश की। विजय ने ललित को कहा कि यह हमारे घर का मामला है। तुम कौन होते हो। यह बात हितेन्द्र को बुरी लग गई थी। हितेन्द्र ने इसपर आपत्ति जाहिर की। जब दोनों बच्चे बीच में बोलने लगे। सीमा ने दोनों को थप्पड़ मार दिये। गुस्से में जब हितेन्द्र सीमा को कुछ बोलने लगा तो दोनों सालों को गुस्सा आ गया। दोनों ने हितेन्द्र को थप्पड़ मारने शुरू कर दिये। इस बीच हितेन्द्र को ललित बबीता आदि ने बचाने की कोशिश की थी। लेकिन हितेन्द्र के सब्र का बांध टूट गया था। वह दूसरे कमरे में दौडक़र गया और लाइसेंसी रिवाल्वर और कारतूस निकालकर लाया। रिवाल्वर पहले से ही लोडेड थी। हितेन्द्र ने जब विजय पर पिस्टल तानने की कोशिश की। बबीता बीच में आ गई। हितेन्द्र बबीता को बहन मानता है। हितेन्द्र ने बबीता के पैर में गोली मार दी। उसके बाद दोनों सालों के गोली मारी और अपनी पत्नी सीमा को गोली मार दी। विजय के पेट और कान के ऊपर की तरफ गोली लगी। जबकि सुरेन्द्र और सीमा के भी कान के ऊपर की तरफ गोली लगी थी।

हितेन्द्र तभी हाथ में पिस्टल लेकर दूसरे कमरे में पहुंचा। जहां पर उसने जेब से कारतूस निकालकर रिवाल्वर में लोड करने की कोशिश की। लेकिन बेटे प्रथम ने आकर उससे रिवाल्वर छिनकर बैड के नीचे पैर से अंदर की तरफ फैंक दी। जिससे हितेन्द्र खुदकुशी नहीं कर पाया था। वह प्रथम पर गुस्सा नहीं हुआ था। उसके आंखों में आसूं जरूर थे,जबकि प्रथम काफी घबरा रहा था। ललित ने भी उसको काफी बैड पर बैठाने की कोशिश की थी। जब हितेन्द्र गोली चला रहा था। चन्द्रभान उर्फ चमन ने खुद को बचाने के लिये बराबर के कमरे में भागा और खुद को अंदर से बंद कर लिया था। जिससे उसकी जान बच गई। वह जोर जोर से चिल्ला रहा था। लेकिन उसकी कोई नहीं सुन रहा था। वह काफी डर गया था। उसने तीन की मौत को अपनी आंखों से देखा था। ललित ने एक पीसीआर कॉल 11 बजकर 24 मिनट पर की थी, जबकि चन्द्रभान ने नीचे की बिल्डिंग में रहने वाले एक जानकार को फोन कर बोला कि पुलिस को फोन करों यहां पर गोली चल गई है। दूसरी कॉल बिल्डिंग में रहने वाले ने की थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उनको लगा था कि डकैती के कारण गोली चली है। पुलिस टीम जिसमें इंस्पेक्टर प्रताप कुमार अपनी टीम के साथ पिस्टल लेकर चौथी मंजिल पर गए थे। लेकिन वहां पर गेट के अंदर जाकर देखा चार लोग एक ही कमरे में खून से लथपथ हालत में पड़े थे। जिनको तुरंत भगवान महावीर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर विजय, सुरेन्द्र और सीमा को मृत घोषित कर बबीता को शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल शिफ्ट कर दिया था। जब हितेन्द्र गोली चला रहा था। उसकी सास कृष्णा उसे पकडक़र बोल रही थी। मुझे गोली मार दे,इनको छोड़ दें,इन्होंने तेरा क्या बिगाड़ा है। लेकिन हितेन्द्र ने उनको हाथ तक नहीं लगाया था। उसको सिर्फ और सिर्फ विजय,सुरेन्द्र और सीमा को ही मारना था। बबीता के बीच बचाव में ही गोली लगी थी। कृष्णा के सामने उसके ही दामाद ने उसके दोनों बेटों और बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी।

पुलिस जब कमरे में गई। बेडरूम में चारों खून से लथपथ हालत में फर्श पर ही पड़े थे। कमरे के अंदर ही पहले ललित खड़ा हुआ था। विजय और सीमा फर्श पर पड़े थे। उसके पीछे सुरेन्द्र पड़ा था,जबकि बबीता बैठी हुई थी। जबकि हितेन्द्र पीछे खड़ा हुआ था। ललित ने बताया कि हितेन्द्र ने गोली मारी है। हितेन्द्र की तरफ जब पुलिस बड़ी और उसको पकड़ा। हितेन्द्र ने बोला कि हां मैने ही इन सबको गोली मारी है। मैं बहुत परेशान हो गया था। प्रथम की निशानदेही पर बैड के नीचे से पिस्टल आधा दर्जन फर्शपर पड़े कारतूस के खोल और हितेन्द्र की जेब से कारतूस जब्त किये।

सीसीटीवी कैमरों में कैद पूरी वारदात: पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हितेन्द्र ने अपने घर में झगड़ा होने के कारण ही सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे। उसने बाकी पूरी बिल्डिंग में कैमरे लगवा रखे थे। जिनका डीवीआर अपने घर में ही रखा हुआ था। पुलिस ने उसी डीवीआर को अपने कब्जे में ले लिया है। जिसमें पूरी वारदात कैद हुई है। उसमें ललित के घर आने और हितेन्द्र के गोलियों चलाने तक पूरी वारदात कैद हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वारदात काफी भयंकर थी। हाथापाई के बाद ही हितेन्द्र ने कमरे में रिवाल्वर निकालकर गोलियां चलाई थी।

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