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दिल्ली: सामूहिक संहार के हथियारों के प्रसार और वित्त पोषण को रोकने वाले विधेयक को लोकसभा ने दी मंजूरी
दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना बुधवार को कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं और इनमें से कुछ देश हमारे काफी पास हैं। जयशंकर ने कहा कि सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1540, सामूहिक संहार के हथियारों संबंधी 2005 के कानून, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की विवेचना एवं अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण पर रोक लगाने के प्रावधान वाला विधेयक लायी।
मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन में 'सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022' को मंजूरी दे दी गयी। लोकसभा में सभी दलों ने पार्टी लाइन से इतर इस विधेयक का समर्थन किया। जयशंकर ने कहा कि हम एक ऐसे कानून को उन्नत बना रहे हैं जो 17 वर्ष पुराना है तथा यह सुशासन का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में संसद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कानून बनाया था जिसमें यह दायित्व था कि सरकार सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को प्रभाव में लाने के लिये कोई कदम उठायेगी हालांकि इसमें बल प्रयोग नहीं शामिल होगा। जयशंकर ने कहा कि आजादी के बाद से ही हम संयुक्त राष्ट्र के अच्छे सदस्य देश रहे हैं और आज भी संयुक्त राष्ट्र के कदमों के तहत ही हम यह पहल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद से ही आतंकवादियों, ऐसे तत्वों एवं अनधिकृत पक्षों के हाथों में सामूहिक संहार के हथियार पडऩे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई । उन्होंने कहा कि इसका उल्लेख हालांकि 70 के दशक से ही किया जाने लगा था। विदेश मंत्री ने कहा कि इन्हीं ङ्क्षचताओं को देखते हुए सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1540 पारित किया था जिसमें कहा गया था कि सभी देश यह सुनिश्चित करेंगे कि घरेलू स्तर पर सामूहिक संहार के हाथियारों का प्रसार न हो, इसमें जैविक, रसायनिक हथियारों का अप्रसार सुनिश्चित करने एवं इसके फैलने से रोकने की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव 1540 में हालांकि इससे जुड़े वित्तीय आयामों एवं प्रभावों को नहीं जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में जब हमने कानून बनाया तब इसका आधार सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव था, ऐसे में इसमें वित्तीय आयाम जोडऩे के लिये यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
जयशंकर ने कहा कि यह विषय वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ङ्क्षचताओं से जुड़ा रहा और सभी सदस्य एफएटीएफ के महत्व को समझते हैं। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ इस बात का मूल्यांकन करता है कि क्या देश इस संबंध में अपनी वित्तीय नीतियों को लेकर जवाबदेह हैं ? विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि अधिकांश सदस्यों को मालूम है कि इसमें कौन देश शामिल हैं। '' इनमें से कुछ (देश) हमारे काफी पास हैं।''
विधेयक में सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण को रोकने का प्रावधान किया गया है। इसमें ऐसे वित्त पोषण का निवारण करने के लिये केंद्र सरकार को निधियों एवं अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आॢथक संसाधनों पर रोक लगाने, अधिग्रहण या कुर्की करने का अधिकार दिया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी परिदान (डिलीवरी) प्रणालियों के प्रसार से संबंधित विनियमों का विस्तार किया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लक्षित वित्तीय प्रतिबंध एवं वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की सिफारिशों को सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी परिदान प्रणालियों के प्रसार के खिलाफ लागू किया गया है।इसमें केंद्र सरकार को सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी परिदान प्रणालियों के प्रसार को लेकर निधियों एवं अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आॢथक संसाधनों के संबंध में रोक लगाने के लिये सशक्त बनाने की बात कही गई है। इसके माध्यम से सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) अधिनियम 2005 में संशोधन किया गया है।