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दिल्ली जल बोर्ड कैग रिपोर्ट: वर्ष 2013-18 के बीच सीवर का काम बिना योजना के हुआ
![दिल्ली जल बोर्ड कैग रिपोर्ट: वर्ष 2013-18 के बीच सीवर का काम बिना योजना के हुआ दिल्ली जल बोर्ड कैग रिपोर्ट: वर्ष 2013-18 के बीच सीवर का काम बिना योजना के हुआ](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/07/06/1758797-18062022-cag-report22814705.webp)
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली विधानसभा में दो दिवसीय सत्र के दौरान दिल्ली सरकार से संबंधित विभागों व नगर निकायों के वित्तीय लेखा-जोखा संबंधित कैग रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया। कैग रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में साल 2013 से 2018 के बीच पानी और सीवर की लाइन बिछाने का काम बेतरतीब तरीके से किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप धन बेकार चला गया और अपेक्षित लाभ नहीं मिले। यह बात मार्च 2018 में समाप्त हुए वर्ष के लिए सामाजिक, सामान्य और आॢथक क्षेत्रों पर कैग की एक रिपोर्ट में कही गयी है। नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार रणनीतिक योजना नहीं होने की वजह से केवल 353 और 126 अनधिकृत कॉलोनियों को इस अवधि में क्रमश: पाइप से जल आपूॢत और सीवरेज की सुविधाएं प्रदान की गई। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2018 तक की स्थिति के अनुसार कुल 1797 अनधिकृत कॉलोनियों में से क्रमश: 1,230 (68.4 प्रतिशत) और 224 अनधिकृत कॉलोनियों (12.5 प्रतिशत) को पाइप से जल आपूर्ति और सीवरेज की सुविधाएं प्रदान की गई। अनधिकृत कॉलोनियों में पेयजल आपूर्ति और सीवरेज सुविधाओं को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा लागू किया जाता है, जिसके लिए धन शहरी विभाग द्वारा अनुदान सहायता के रूप में प्रदान किया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पानी की आपूर्ति के लिए उपयोग किए जाने वाले कुल 657 पानी के टैंकरों में से 250 टैंकरों (38 प्रतिशत) को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जल टैंकर वितरण प्रबंधन प्रणाली परियोजना के अंतर्गत निर्धारित निगरानी उपकरण जैसे कि जीपीएस, जल स्तर मीटर/प्रवाह मीटर आदि के बिना संचालित किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार द्वारा वर्ष 1998 से 2019 की अवधि के दौरान दिल्ली जल बोर्ड को कुल 28,011 करोड़ का ऋण दिया गया था, जिसमें से 31 मार्च 2019 तक केवल 351 करोड़ वापस किये गये थे और 27,660 करोड़ बकाया था। वर्तमान में बकाया ऋणों के कारण ब्याज देनदारी का संबंधित एजेंसियों तथा शहरी विकास विभाग के द्वारा संबंधित वेतन एवं लेखा कार्यालय के साथ मिलान किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन कार्य में अनियमितता: कैग रिपोर्ट के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपकरणों, वस्तुओं और सामग्रियों की खरीद में अनियमितताएं और कमियां पाई गई। योजना के तहत उपकरणों की खरीद में कमियां, जिनमें कार्यान्वयन के लिए एजेंसियों को फंड जारी करने में विलंब, ट्रकों, टिपरों इत्यादि को भाड़े पर रखने हेतु पूंजीगत अनुदान का प्रयोग, सामग्रियों के रखने के लिए स्थान की उपलब्धता को सुनिश्चित किए बिना आदेश देना, आवश्यक 10 प्रतिशत राशि को रोके बिना अग्रिम के रूप में पूरे भुगतान को जारी करने के कारण निधियों का अवरोधन, सामग्रियों की देरी से या कम आपूर्ति एवं उनकी डिलीवरी के बाद ट्रक चेसिस के निर्माण में देरी के मामले में 0.86 करोड़ की क्षतिपूर्ति शुल्क की गैर-वसूली आदि शामिल हैं।
पहले के तीनों निगमों पर बकाया: कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च 2019 तक उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 2038 करोड़, पूर्वी दिल्ली नगर निगम पर 1396 करोड़ तथा दक्षिणी दिल्ली नगर निगम पर 319 करोड़ रुपए बकाया था। निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण उत्तरी दिल्ली नगर निगम तथा पूर्वी दिल्ली नगर निगम से 2015-16 से 2017-18 के समय दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए कर्ज की वसूली टाल दी गई क्योंकि इन निगमों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी।
दिल्ली परिवहन निगम पर बकाया: कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1996 से 2011 के दौरान दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को कुल 11,838 करोड़ का ऋण दिल्ली सरकार द्वारा दिया गया था, इसमें 31 मार्च 2019 तक कुल 11,676 करोड़ बकाया ऋण राशि छोड़कर 162 करोड़ वापस किया जा चुका है। 31 मार्च 2019 तक इन कर्जों पर ब्याज के 26,070 करोड़ रुपए बकाया था।