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दिल्ली जल बार्ड अब दिल्ली को बनाएगा झीलों का शहर, यमुना की सफाई पर भी दिया जायेगा ज़ोर
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली जल बार्ड (डीजेबी) राष्ट्रीय राजधानी को झीलों का शहर बनाने व यमुना की सफाई समय पर पूरा हो, इसके लिए कई स्तर पर कार्य कर रहा है। इस बाबत सोमवार को डीजेबी उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई बैठक में यमुना नदी की सफाई, चौबीस घंटे जलापूर्ति, झीलों का कायाकल्प, विभिन्न तंत्रों से जल उत्पादन में वृद्धि, नलकूपों की स्थापना, सीवर कनेक्शन को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में दिल्ली में आरओ सिस्टम की स्थापना, जल प्रदूषण करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई, जल उपचार क्षमता में वृद्धि, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थिति, एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा करना, सीवर की सफाई और सीवर नेटवर्क का निर्माण और पुन: विकास पर चर्चा हुई।
बैठक में बताया गया कि दिल्ली सरकार ने ओखला में 16 एमजीडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में केमिकल के जरिए पानी को ट्रीट करने की पहल की है। इस अनोखी तकनीक की मदद से ओखला एसटीपी में सीवर के पानी का बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट किया जा रहा है। यही वजह है कि ओखला एसटीपी में पानी की गुणवत्ता में 82 फीसदी सुधार हुआ है। अपशिष्ट जल के उपचार की वर्तमान क्षमता 632 एमजीडी है, जिसका उपचार 35 सीवेज उपचार संयंत्रों में किया जा रहा है। यमुना नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए डीजेबी की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम कर रही है, ताकि यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एकत्रित कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाकर ट्रीट किया जा सके। दिल्ली की सभी 1799 अनधिकृत कॉलोनियों में डीजेबी द्वारा सीवर लाइन बिछाई जाएगी, इनमें से 725 कॉलोनियों में पहले ही सीवर लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो चुका है।
18 नालें जो यमुना में गिरते हैं, उसमें से 16 को एसटीपी के लिए डायवर्ट किया गया है जहां पर गंदे पानी को शोधित किया जा रहा है। यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से जगह-जगह 116 सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) बनाए गए है।
वर्ष 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य: दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को अगले तीन साल में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोडऩे का प्लान है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी डीजेबी को दी है, यमुना को साफ करना ही मुख्य मकसद है। यमुना में प्रदूषण बढ़ाने वाली चार प्रमुख ड्रेन हैं। यह चार ड्रेन नजफगढ़ ड्रेन, सप्लमेंट्री ड्रेन, बारापुला ड्रेन और शाहदरा ड्रेन हैं। इन चारों ड्रेन के अंदर दिल्ली सरकार सीवेज को इन सीटू ट्रीट कर रही है। अर्थात ड्रेन के अंदर ही चलते पानी को साफ किया जा रहा है। दिल्ली सरकार सीवेज के पानी को सीधे नालियों में गिरने से रोकने के लिए सभी कॉलोनियों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोडऩे का लक्ष्य बना रही है, जिससे आने वाले वर्षों में यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी।
एसटीपी के आस-पास झीलों का निर्माण: डीजेबी बैठक में बताया गया कि झीलों और जलाशयों को मनोरंजक और सुरक्षित स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। दिल्ली में 299 जलाशय और 9 झीलों को विकसित किया जा रहा है। इनमें कई झीलों और जलाशयों को मनोरंजक और सुरक्षित स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। झीलों व जलाशयों के पुनर्जीवित होने से राजधानी की बायोडायवर्सिटी में भी सुधार होगा और साथ ही आसपास के भूजल स्तर में भी सुधार आएगा। भूजल का उपयोग एक तय स्तर पर इस्तेमाल कर पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने में किया जाएगा। ताकि ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने में भी मदद मिल सके। यमुना नदी तक पानी पहुंचाने के लिए एक कनेक्टिंग लाइन बिछाई जाएगी। इसके साथ ही ग्राउंडवाटर को रिचार्ज करने के लिए ओखला एसटीपी के पास छोटी-छोटी झीलें विकसित की जाएगी, ताकि पानी को एसटीपी से झीलों में छोड़ा जाएगा। अतिरिक्त शोधित पानी यमुना में छोड़ा जाएगा। ।