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दिल्ली के अस्पताल ने किर्गिस्तान की महिला का ऑटो लीवर प्रत्यारोपण किया
Rani Sahu
12 April 2023 1:50 PM GMT
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| यहां के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने किर्गिस्तान की 35 वर्षीय एक महिला मरीज का ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया, जिसका लीवर एक दुर्लभ परजीवी संक्रमण के कारण खराब हो गया था। उसका लीवर लगभग 75 प्रतिशत खराब हो गया था और फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला के डॉक्टरों ने आठ घंटे तक चली सर्जरी में मरीज के क्षतिग्रस्त लीवर हिस्से को उसके अपने लीवर के स्वस्थ हिस्से से बदल दिया।
अस्पताल ने बुधवार को एक बयान में कहा कि यह भारत में ऑटो लिवर ट्रांसप्लांट का दूसरा और उत्तर में पहला मामला है।
मरीज पिछले तीन माह से पेट दर्द से परेशान था। उसे एक परजीवी संक्रमण का पता चला था, जिसे इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलैरिस कहा जाता है, जो लिवर को धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर के रूप में प्रभावित करता है और बाद में अंग को नुकसान पहुंचाता है।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में लीवर प्रत्यारोपण विभाग के अध्यक्ष विवेक विज ने अपने बयान में कहा कि एक सीटी स्कैन किया गया, जिससे संक्रमण की पुष्टि हुई और पता चला कि लीवर काम नहीं कर रहा है। लीवर और आसपास के अंगों को हुए व्यापक नुकसान को देखते हुए डॉक्टरों ने ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, "सर्जरी के दौरान हमने लीवर के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया और इसे लीवर के सामान्य हिस्से के साथ सफलतापूर्वक बदल दिया। ऑपरेशन के बाद मरीज तेजी से ठीक हो गई और सर्जरी के आठवें दिन बिना किसी इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं के स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई।
उन्होंने कहा, "लीवर के रोगग्रस्त हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी वच्छेदन काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि रक्तस्राव के जोखिम के साथ आसपास के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को चोट लगने का खतरा था।"
इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलेरिस एक दुर्लभ स्वास्थ्य स्थिति है और इसके दोबारा होने की संभावना लगभग 10 प्रतिशत रहती है। यदि समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं किया जाता है, तो संक्रमण रोगी के फेफड़े, गुर्दे, बड़ी रक्त वाहिकाओं और आंतों को प्रभावित कर सकता है।
इचिनेकोकोसिस मल्टीलोक्युलैरिस के अधिकांश मामलों में रोगी को ठीक करने के लिए लीवर प्रत्यारोपण को अपनाया जाता है।
विज ने कहा, "हालांकि, इस विशेष मामले में हमने एक नई तकनीक - ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुना, जिसमें लीवर के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया गया और उस जगह लीवर के स्वस्थ हिस्से को काटकर जोड़ दिया गया। इस तरह मरीज के अपने लीवर के एक हिस्से का उपयोग होना एक वरदान है, क्योंकि ऐसे केस में इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती।"
--आईएएनएस
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