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अग्निपथ स्कीम पर केंद्र सरकार से दिल्ली हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, रोक लगाने से किया इनकार

Renuka Sahu
26 Aug 2022 2:22 AM GMT
Delhi High Court seeks reply from central government on Agneepath scheme, refuses to stop
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फाइल फोटो 

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट में अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई बीते गुरुवार को हुई। इस सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

अंतरिम रोक लगाने से मना
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते के भीतर इस मामले में जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि वह अंतरिम रोक लगाने की बजाय मामले की सुनवाई करेंगे।
केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वे सभी याचिकाओं पर एक साथ जवाब दाखिल करेंगे। इसपर अदालत ने कहा कि याचिकाएं सैनिक, वायु सैनिक, आदि के पदों पर भर्ती से संबंधित है, इसलिए केंद्र को व्यक्तिगत मामलों में भी विस्तृत प्रतिक्रिया दर्ज करनी चाहिए।
अगली सुनवाई- 19 अक्टूबर
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस मुद्दे को लंबे समय तक नहीं खींचना चाहते। इस मामले में कई तरह की विभिन्न श्रेणियां हैं। कोर्ट ने कहा कि उसके पास इस मामले की एक पूरी सूची है। ऐसे मामले हैं जहां चयन समाप्त हो गया है या जहां चयन बीच में है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप जवाब दाखिल करें। हम इस मामले को अंत में सुनेंगे। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को करेगा।
क्या है अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना में 17.5 से 21 वर्ष की आयु के लोगों को चार साल के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है। इस योजना की घोषणा 14 जून को की गई थी। योजना के अनुसार कुल भर्ती किए गए सैनिकों में से केवल 25% को परमानेंट करने की बात की गई है। परमानेंट किए गए सैनिकों का कार्यकाल 15 साल का होगा। योजना की घोषणा के तुरंत बाद कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। भारी विरोध प्रदर्शन के कारण सरकार ने योजना में भर्ती होने वालों का उम्र की सीमा 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी।
इस योजना को देश के कई हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पंजाब-हरियाणा, केरल, उत्तराखंड और पटना में दायर याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया जाए। कई याचिकाकर्ता ने कहा था कि वो चाहते हैं कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद अगर याचिकाकर्ता असंतुष्ट रहते है तो वह सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं।
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