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दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेंट को मंजूरी देने से पहले डेटा अध्ययन की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा

Rani Sahu
10 Jan 2023 6:20 PM GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेंट को मंजूरी देने से पहले डेटा अध्ययन की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) और फार्मास्युटिकल्स विभाग के माध्यम से केंद्र को नोटिस जारी किया। याचिका भारत में कार्डियक स्टेंट या कोरोनरी स्टेंट के उपयोग के लिए अनुमोदन प्रदान करने से पहले नैदानिक और डेटा के अध्ययन की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ अधिवक्ता मयंक क्षीरसागर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 10 मई को सूचीबद्ध किया।
केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि उठाया गया मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और सरकार इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करेगी।
उन्होंने कहा, "यह चिंता का कारण है .. इसका बहुत व्यापक प्रभाव है और वह कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठा रहे हैं। इसे सुलझाने की जरूरत है।"
याचिका में तर्क दिया गया है कि कोरोनरी या कार्डियक स्टेंट को इस समय उत्पादन, आयात और बेचने की अनुमति दी जाती है, मगर जिसके समर्थन में कोई नैदानिक अनुसंधान या डेटा नहीं है। तर्क के अनुसार, यह केवल उस उपकरण पर आधारित है, जो निर्माता या आयातक भेजता है।
याचिका में कहा गया है, "बिक्री के लिए स्टेंट सहित एक चिकित्सा उपकरण के अनुमोदन के लिए एफडीए को एक महत्वपूर्ण, बड़े पैमाने पर अध्ययन की जरूरत है, जिसकी निगरानी कई वर्षो (सामान्य रूप से एक वर्ष से अधिक) के दौरान की जाती है और चिकित्सा उपकरण को बताए गए वितरण प्रदर्शित करने की जरूरत है।"
याचिकाकर्ता ने आगे मांग की कि सरकार यह तय करे कि ड्रग एल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाए और फिर उसके अनुसार अधिकतम मूल्य निर्धारित किया जाए।
याचिका में कहा गया है : "पहला बुनियादी डीईएस सामान्य संकेतों (स्थितियों/बीमारियों) पर काम करता है, जैसे कि रोगसूचक इस्केमिक, डे-नोवो ब्लॉकेज और (दूसरा) उन्नत डीईएस जो मधुमेह, उच्च रक्तस्राव जोखिम, कैल्सिफाइड ब्लॉकेज जैसे विशेष संकेतों/स्थितियों/बीमारियों की पहचान करता है। स्टेंट काफी महंगा मिलता है, इसलिए इसका अधिकतम मूल्य तय करें।"
याचिका में आगे कहा गया है कि हालांकि याचिकाकर्ता स्टेंट के लिए अधिकतम मूल्य निर्धारित करने के सरकार के विकल्प का विरोध नहीं कर रहा है, एक ही श्रेणी के तहत कई डीईएस का समूहीकरण और एक समान अधिकतम मूल्य लागू करने के कारण उन्नत डीईएस ब्रांड भारत से बाहर चले गए हैं।
आगे कहा गया है, "प्रतिवादी नंबर 3 (एनपीपीए) द्वारा सभी डीईएस के लिए निर्धारित सामान्य अधिकतम मूल्य के कारण, दुनिया में कहीं और उपलब्ध तकनीकी उन्नत डीईएस को भारत में उपलब्ध नहीं कराया गया है या पेश नहीं किया गया है, जिस कारण मरीजों को उन्नत और तकनीकी रूप से बेहतर डीईएस उपलब्ध नहीं हो पाता।"
--आईएएनएस
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