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दिल्ली सरकार का नया 35 मंजिला सचिवालय विदेशी कंपनियों की मदद से बनेगा

Admin Delhi 1
21 July 2022 6:01 AM GMT
दिल्ली सरकार का नया 35 मंजिला सचिवालय विदेशी कंपनियों की मदद से बनेगा
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली सरकार के नए सचिवालय की इमारत 35 मंजिला बनाई जा सकती है। इस परियोजना में विदेशी कंपनियों की मदद ली जाएगी। परियोजना के लिए सलाहकार कंपनी के चयन की प्रक्रिया के तहत बुधवार को लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय में पांच कंपनियों ने एक्सपर्ट कमेटी के सामने अपना प्रजेंटेशन दिया। जिसमें एक कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए अपने ड्राइंग में 35 मंजिला इमारत का मॉडल प्रस्तुत किया है। एक कंपनी ने 30 मंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसी तरह एक कंपनी ने इससे कम ऊंचाई की इमारत को सही बताया है।

सूत्र बताते हैं कि कंपनियों ने सचिवालय के बनने वाले दोनों टावरों को जोडऩे के लिए अंडरपास या फ्लाईओवर बनाने की बात कही है। एक प्रस्ताव में दोनों टावरों को जोडऩे के लिए तीसरी मंजिल की ऊंचाई से एक फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव है। जिसमें पैदल यात्री ही नहीं वाहन भी दोनों परिसरों में आ-जा सकेंगे। बनने वाले दोनों टावरों के बीच कम से कम 300 मीटर की दूरी है। सलाहकार चयन प्रक्रिया के लिए कुल पांच कंपनियां शार्टलिस्ट की गई हैं। इन कंपनियों की वित्तीय बिड खुलनी है। इसके बाद ही क्वालिटी कम कॉस्ट बेस्ड सलेक्शन (क्यूसीबीएस) के आधार पर सलाहकार कंपनी का चयन किया जाएगा। उम्मीद है कि अगले माह तक इस परियोजना के लिए सलाहकार के रूप में कंपनी का चयन कर लिया जाएगा। इस परियोजना पर 1910 करोड़ की लागत अनुमान रखा गया है।

चयनित कंपनी के मॉडल व डीपीआर के आधार पर ही नए मुख्यालय का निर्माण होगा। बता दें कि अभी दिल्ली सरकार का मुख्यालय प्लेयर्स बिल्डिंग में चल रहा है, उसे इस ट्विन टावर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। एक टावर विकास भवन के प्लाट पर और दूसरा टावर लोक निर्माण मुख्यालय (एमएसओ) व जीएसटी बिल्डिंग को तोडक़र इनके स्थान पर बनेगा। टावर व इसके परिसर को तैयार करने में 53,603 वर्ग मीटर जमीन इस्तेमाल में लाई जाएगी। बुधवार को जिन पांच कंपनियों ने प्रजेंटेशन दिया है। उन सभी कंपनियों में विदेशी विशेषज्ञ पार्टनर हैं। इसमें से ही किसी एक कंपनी का चयन होना है। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए सलाहकार कपंनी की नियुक्ति होने और निर्माण कार्य के लिए टेंडर आवंटित होने के बाद इसे 36 महीने में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

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