दिल्ली-एनसीआर

किसान आंदोलन से दिल्ली मोर्चे बने ट्रेनिंग प्वाइंट, गांवों तक लोगों में अपने अधिकारों व राजनीति की समझदारी

Kunti Dhruw
20 Nov 2021 7:34 AM GMT
किसान आंदोलन से दिल्ली मोर्चे बने ट्रेनिंग प्वाइंट, गांवों तक लोगों में अपने अधिकारों व राजनीति की समझदारी
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पंजाब की सत्ता की चाबी अब तक ज्यादातर कुछ परिवारों के हाथ रही है.

पंजाब की सत्ता की चाबी अब तक ज्यादातर कुछ परिवारों के हाथ रही है, लेकिन अब प्रदेश की राजनीति में बदलाव आने की संभावना है। क्योंकि कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन ने पंजाब को लोगों के असली हीरो दे दिए हैं। यह किसान हैं, जिन्होंने अपने परिवारों की परवाह न करते महीनों दिल्ली के बार्डरों पर हर मौसम का सामना करते गुजारे। शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन को चलाते केंद्र सरकार को झुकाया। किसान आंदोलन से खास तौर से ग्रामीण इलाकों से नई लीडरशिप भी पैदा हुई है, जिनके लिए दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे मोर्चे ट्रेनिंग प्वाइंट बने। किसान आंदोलन से लोगों में अपने अधिकारों व देश की राजनीति को लेकर समझ बढ़ी है।

पंजाब के लोगों के असली हीरो के रूप में भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के प्रदेश प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां, डॉ. दर्शन पाल मिले। इन सभी ने दिल्ली के बॉर्डरों पर करीब एक साल से शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाकर केंद्र सरकार को झुका दिया। इससे साबित हुआ है कि शांतिपूर्ण आंदोलन से चमत्कार किए जा सकते हैं।
'देश का लोकतंत्र होगा मजबूत'
इन नेताओं को दिल्ली के मोर्चों में सुन-सुन कर, वहां राशन सामग्री जुटाने से लेकर कई व्यवस्थाओं को संभालते-संभालते गांवों के नौजवान यहां तक की महिलाओं के रूप में पंजाब में नई लीडरशिप पैदा हुई है। राजनीतिक माहिरों का मानना है कि इससे जहां देश का लोकतंत्र मजबूत होगा। वहीं राजनीति में परिवारवाद पर रोक लगने के साथ-साथ लोगों के असली हीरो अब आगे आएंगे। इस किसान आंदोलन में लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता तो बढ़ाई ही है, वहीं अब वह राजनीति में भी दिलचस्पी लेने लगे हैं। उन्हें पता लग गया है कि अगर बदलाव लाना है, तो वोट एक बड़ी ताकत बन सकता है।
अन्य राज्यों के किसानों को पता चला एमएसपी का महत्व
पंजाबी यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर जसविंदर सिंह बराड़ के मुताबिक इस आंदोलन के बाद अब पंजाब व हरियाणा के अलावा देश के अन्य राज्यों के किसानों में भी एमएसपी के महत्व के बारे में जागरूकता आ गई है। इसलिए अब अन्य राज्यों से भी एमएसपी देने की मांग उठ रही है। साथ ही अब पूरी उम्मीद है कि पंजाब व हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियां गेहूं व धान के अलावा फल व सब्जियों पर भी एमएसपी देने के वादे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें। क्योंकि एमएसपी मिलने से किसान गेहूं व धान की परंपरागत खेती चक्र से बाहर निकल सकेंगे। साथ ही इससे खेती व्यवसाय को भी फायदा होगा।
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