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दिल्ली एनसीआर: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़ी छह शिकायतों की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस के एक निरीक्षक द्वारा अपनाए गए दोहरे मापदंडों की शुक्रवार को यहां की एक सत्र अदालत ने निंदा की और उनके आचरण के मूल्यांकन के लिए मामले को शहर के पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के पास भेज दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला दंगों से संबंधित एक मामले में आरोपों पर दलीलें सुन रहे थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, जांच अधिकारी (आईओ) दंगों की घटनाओं से संबंधित छह अलग-अलग मामलों की जांच रहा था, जिन्हें घटनास्थल और समय की निकटता के कारण एक साथ जोड़ दिया गया था।
एएसजे प्रमाचला ने कहा, “जब फाइल का अवलोकन किया गया, तो यह पाया गया कि आईओ, यानी, निरीक्षक शिव चरण ने केवल तीन घटनाओं के स्थानों के लिए साइट योजना तैयार की और उन्होंने घटनाओं के अन्य स्थानों के संबंध में साइट योजना तैयार करने की जहमत नहीं उठाई, भले ही उनका दावा है कि उन्होंने घटना स्थल का निरीक्षण भी किया था।” एएसजे ने रेखांकित किया आईओ ने “अलग-अलग शिकायतों के संबंध में जांच की दो अलग-अलग प्रक्रियाओं को अपनाने” का कोई औचित्य नहीं बताया। जांच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) की यह स्थिति तब है, जब उन्होंने साक्ष्यों का कैलेंडर तैयार करने के नाम पर छह महीने से अधिक समय लिया।”
न्यायाधीश ने कहा कि अदालत ने दिल्ली पुलिस से सबूतों का एक कैलेंडर तैयार करने को कहा था, ताकि जांच एजेंसी को पता चल सके कि रिकॉर्ड पर कौन से सबूत रखे गए हैं और क्या कोई महत्वपूर्ण सबूत गायब है। उन्होंने कहा, इसलिए प्रथम दृष्टया, मुझे लगता है कि न तो जांच ठीक से की गई, न ही सबूतों का कैलेंडर तैयार करने की कवायद खुले दिमाग से की गई।” न्यायाधीश ने कहा, “विभाग आईओ द्वारा अपनाए गए ऐसे दोहरे मापदंडों का आकलन करे। आईओ के आचरण के मूल्यांकन के लिए, मामला पुलिस आयुक्त को भेजा जाता है।
Manish Sahu
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