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दिल्ली महिला आयोग: नर्सिंग की पाठ्यपुस्तक के लेखक पर कार्रवाई करें केंद्रीय शिक्षामंत्री

Admin Delhi 1
5 April 2022 4:21 PM GMT
दिल्ली महिला आयोग: नर्सिंग की पाठ्यपुस्तक के लेखक पर कार्रवाई करें केंद्रीय शिक्षामंत्री
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दिल्ली न्यूज़: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने नर्सिंग सोशियोलॉजी की पाठ्यपुस्तक में छपे स्त्री विरोधी गद्यांश के बारे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। दरअसल नर्सिंग की समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक का एक गद्यांश हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। इसमें दहेज के गुण और दोष के बारे में बात की गई है। जिसमें लेखक ने लिखा है कि आकर्षक दहेज की वजह से सुंदर न दिखने वाली लड़कियों की शादी में सहायता मिलती है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के उद्देश्य को विफल करता है ये गद्यांश: डीसीडब्लयू ने उक्त मामले में मीडिया रिर्पोटों का संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा और मामले में निराशा व्यक्त करते हुए दहेज जैसी महिला द्वेषी कुप्रथा को बढ़ावा देने वाले लेखक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा आयोग की अध्यक्षा ने नर्सिंग छात्रों के लिए इस पाठ्यपुस्तक को मंजूरी देने में शामिल संबंधित सभी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की भी मांग की। उन्होंने देश में विद्या के लिंग समावेशी तथा लैंगिक संवेदनशील ना होने पर शिक्षा मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए विस्तृत सिफारिशें भी दीं। अपने पत्र में स्वाति मालीवाल ने कहा कि ये गद्यांश दुर्भाग्य से नर्सिंग स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा था वह भारत सरकार के बेटी बचाओ और बेटी पढाओ के उद्देश्य को पूरी तरह विफल करता है।

राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाए जाने की मांग: आयोग ने अपनी सिफारिशों के माध्यम से भारत सरकार से सभी पाठ्यक्रम को लैंगिक समावेशी एवं संवेदनशील बनाने हेतु एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने की मांग की है। आयोग ने कहा की इस टास्क फोर्स का काम अलग-अलग क्षेत्रों को महिलाओं के दृष्टिकोण से समझना तथा पाठ्यक्रम में सुधार एवं सुझाव देना होना चाहिए ।

रूढ़ीवादी मान्यताएं और दहेज जैसी प्रथा का महिमामंडन गलत : स्वाति मालीवाल

डीसीडब्ल्यू की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने मामले पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि आकर्षक दहेज को एक योग्यता के रूप में सूचीबद्ध करने वाले इस गद्यांश को पढ़कर मैं स्तब्ध रह गई जो लेखक के अनुसार सुंदर न दिखने वाली लड़कियों की शादी करने में मदद करता है। यह दुखद है कि आज के भारत में भी, इस तरह की रूढ़ीवादी मान्यताएं और दहेज जैसी बुरी प्रथा का महिमामंडन तथा शिक्षण हो रहा है जोकि गलत है। इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए एवं जवाबदेही तय की जानी चाहिए। मैंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की है और लेखक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

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