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Delhi coaching accident: जांच में अधिकारियों की घोर लापरवाही के संकेत
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दिल्ली Delhi: के रेजिडेंट नगर के कोचिंग सेंटर में पानी की सिफारिश से 3 फैक्ट्रियां (दो बिल्डर और एक छात्र) की मौत के मामले की शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि इस बिल्डिंग के मालिक और एमसीडी के अधिकारियों की ओर से इंडस्ट्री शेयरिंग की गई है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दर्ज कार्रवाई के साथ घटना की जांच के लिए कई टीम के सदस्यों की तलाश की है। पुलिस ने राव राइटर स्टूडेंट कोचिंग सेंटर के मालिक, को-ऑर्डिनेटर को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें गैर इरादतन हत्याकांड समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा- पूरी घटना की जांच के लिए कई टीमों की जांच की जा रही है। हमारे फ़ायर दिल्ली सर्विस बेसमेंट वाली इस इमारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, जिसका उपयोग एक लाइब्रेरी के रूप में किया जा रहा था, लेकिन इसमें स्टोर रूम बताया गया था। वहीं पुलिस विभाग के कार्यालय के अनुसार, बेसमेंट का गेट बंद था लेकिन अंदर घुसे बारिश के पानी के तेज दबाव के कारण वह क्षतिग्रस्त हो गया।
पुलिस विभाग के अधिकारी ने कहा कि हम घटना का पता लगाने के लिए इलाके के समुदायों की जांच कर रहे हैं। एसआईटी साक्ष्य SIT evidence के बाद हम उन लोगों की पहचान करेंगे जो घटना के दौरान संस्थान के करीब थे और फिर उनकी बयान दर्ज कराएंगे। पुलिस ने अब तक छह छात्रों के बयान दर्ज किए हैं जो बेसमेंट में बंद थे लेकिन समय से बाहर निकल आए। इनमें से कुछ अन्य छात्र और स्थानीय लोग शहर में थे।जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच में घटना के दो मुख्य कारण सामने आए हैं - पहला, नगर निगम ने पहले सड़क किनारे के नाले को साफ नहीं किया और दूसरा, बेसमेंट में पानी की दुकान का कोई हिस्सा नहीं बनाया। प्रोविज़न नहीं था. ये कोई तहखाने में अवैध रूप से लाइब्रेरी नहीं बनाई गई थी। संदेह है कि लाइब्रेरी में पानी एलॉटमेंट से गेट पर लगा बायो-इंजीनियरिंग सिस्टम जाम हो गया, जिससे छात्र बेस में ही फंस गए।पुलिस (डीसीपी) एम. अपराधियों ने कहा कि समय पर नाले की सफाई नहीं होने का कारण पुलिस एमसीडी के अधिकारियों से संपर्क करना हो सकता है। हमारे पास रेजिडेंट नगर पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बी शोआस) की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या), 106 (1) (जलबाजी या डकैती में किए गए कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है, जो आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं है) आता है), 115 (2) (स्वेछा से चोट लगने की सजा), 290 (इमारतों को गिराने, घुमाने या बनाने के संबंध में) और धारा 35 के तहत रिकॉर्डिंग दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
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